न आरटीओ और न पुलिस करती है कोई कार्रवाई
गोंदिया.
केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी, कर्मचारी अक्सर किराए पर निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं, परंतु करार खत्म खत्म होने के बाद भी वाहनों से ‘सरकारी कार्य के लिए’ वाले स्टीकर नहीं हटाए जाते. ऐसे वाहन बाद में अक्सर इसका दुरुपयोग करते दिखाई देते हैं.
गोंदिया-भंडारा जिले में आरटीओ के ढ़ीले-ढाले रवैये के कारण कोई भी अपने वाहन पर महाराष्ट्र शासन, पुलिस, प्रेस और राजस्व विभाग लिखकर सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हैं. बिना किसी अनुमति के ये वाहन आरटीओ की नाक के नीचे खुलेआम घूमते रहते हैं. इन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई आरटीओ और यातायात पुलिस की कमाई का साधन बन गई है.
स्वास्थ्य विभाग सबसे आगे
जिले में अनेक सरकारी कार्यालय हैं और दौरों तथा अन्य कार्यों के लिए अधिकारी, कर्मचारी किराए पर निजी वाहन लेते हैं. किराए पर निजी वाहन तो सभी कार्यालय लेते हैं, मगर स्वास्थ्य विभाग में ऐसे वाहनों की संख्या सर्वाधिक है. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे स्टीकर लगे वाहनों की संख्या खूब थी, मगर चुनाव के बाद भी ये स्टीकर वैसे ही लगे हुए हैं. पुलिस ऐसे वाहनों की जांच तक नहीं करती. हाल में इस संवाददाता ने ऐसे ही एक वाहन से जब इस संबंध में पूछताछ की तो उसने कोई जवाब देने की बजाय भागना ही उचित समझा. बताया जाता है कि इस वाहन को किसी सरकारी कार्यालय ने किराए पर लिया था. छह माह पहले इसकी अवधि खत्म हो चुकी है, लेकिन स्टीकर अभी भी वैसे ही लगे हुए हैं.
बोगस अफसरों ने पान ठेला वाले से वसूला 18,000 रुपए
ऐसे सरकारी स्टीकर लगे वाहनों द्वाऱा दुरुपयोग की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं. अभी कुछ दिन पहले एक गाड़ी में चार लोग एक पान ठेले पर पहुंचे. खुद को खाद्यान्न आपूर्ति विभाग का अफसर बताया. गाड़ी में महाराष्ट्र शासन का स्टीकर लगा हुआ था. पान ठेले परसामग्री की जांच कर दुकान को सील करने की धमकी दी. इससे घबराए पान ठेला संचालक ने 18,000 रुपए इन लोगों को दे दिए. जांच करने पर पता चला कि ये अफसर बोगस थे. ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं बहुत हो रही हैं. पुलिस विभाग को सतर्कता बरतने की जरूरत है.