Published On : Sun, Mar 23rd, 2014

पर्याप्त भूजल के बावजूद पानी की समस्याएँ बरक़रार

 

एक तिहाई जल का ही उपयोग करते हैं भंडारा वासी

चुनाव की सरगर्मी में ठंडा रहा जल दिवस 

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सुन्दरता और साफ़ सुथरा जल अब बीती बातें हो चुके हैं

सुन्दरता और साफ़ सुथरा जल अब बीती बातें हो चुके हैं

लोकतंत्र के सबसे बड़े महाकुम्भ का सुरूर सरकार और लोगों पर ऐसा छाया है की राजनितिक उठापटक में वैश्विक २२ मार्च को वैश्विक जल दिवस मनाने के अवसर काफी कम मिले. इलेक्शन के मुद्दे रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में सबसे महत्वपूर्ण घटक – ‘जल’ पर हावी रहे ।

जीवन के लिए जल का महत्व इसी बात से पता चलता है की इंसानी शरीर का ६०% हिस्सा जल होता है वहीँ पृथ्वी की सतह का ७१% हिस्सा जल है लेकिन पीने योग्य मात्र कुछ प्रतिशत ही पानी है जो नदियों, झरनों, सरोवरों, तालों आदि के रूप में है। अपनी नदियों और तालों को तो हमने प्रदुषण की भेट चढ़ा रखा है मगर अभी भी कुछ शहर और जिले हैं जहां विपुल मात्र में शुद्ध पीने योग्य पानी मौजूद है. मगर पर्याप्त भूजल होने के बावजूद पानी से सम्बंधित समस्याएँ बढती ही जा रही हैं अगर इन पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो शुद्ध भूजल गायब होते देर नहीं लगेगी।

जब महाराष्ट्र के बाकी जिलों में अकाल सदृश्य स्थिति होती है और शहर पानी की तंगी से बेहाल हुए रहते हैं वहीं भंडारा जिले में बेहिसाब पानी खर्चा किया जाता है. भूजल सर्वेक्षण सूत्रों के अनुसार भंडारा जिले के निवासी मात्र २७.७२% भूजल का ही उपयोग करते हैं. बावन थडी और गोसेखुर्द के विकास के साथ यह स्थिति और सुधरने का अंदेशा है।

भंडारा के पास रंग बदला हुआ प्रदूषित पानी

भंडारा के पास रंग बदला हुआ प्रदूषित पानी

भूजल सर्वेक्षण के अनुसार जिले में ५०९१२ हेक्टेयर मीटर (यानि ५०९१२ करोड़ लीटर) भूजल उपलब्ध है और मात्र १४११७ करोड़ लीटर भूजल का इस्तेमाल किया गया. भंडारा में मात्र ६० से १२० मीटर गहराई से ही पानी उपलब्ध हो जाता है. गर्मियों में जब भूजल स्टार घटता है तो बोरवेल में दबाव की मौजूदगी से पानी भरा रहता है. जिले में ७४ निरिक्षण कुँए हैं जिनका निरिक्षण साल में ४ बार अक्टूबर, जनवरी, मार्च और मई में किया जाता है।

भूजल सर्वेक्षण विभाग के वरिष्ठ भूवैज्ञानिक भुसारी ने नागपुर टुडे को बताया की २०१३-१४ में जरुरत से ज्यादा वर्षा होने की वजह से भूजल कम होने का कोई अंदेशा नहीं है और इस माह के अंत तक सर्वेक्षण के नए नतीजे काफी सकारात्मक आने का विश्वास है।

इतनी अच्छी स्थिति होने के बावजूद भंडारा जिले में जल प्रदुषण एक बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है. २०११ में ‘नीरी’ द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार भंडारा में २१ जगहों पर भूजल के नमूने बारिश के पहले और बाद में लिए गए। इस नमूनों में बारिश के पहले और बाद के दिनों में काफी अंतर नजर आया। बारिश पूर्व जल निर्देशांक ६८ से ८३ के बिच पाए गए जबकि मानसून के बाद के निर्देशांक ५६ से ७६ के बिच पाए गए। इस सर्वेक्षण के मुताबिक सिर्फ १९% स्थानों से लिए गए नमूने ही पिने योग्य पाए गए।

भंडारा जिले की जीवनदायिनी वैनगंगा नदी

भंडारा जिले की जीवनदायिनी वैनगंगा नदी

२०१२ में राज्य के तत्कालीन पानी पुरवठा मंत्री लक्ष्मण ढोबले ने महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा ७० करोड़ रूपये की लागत से १२ मिलियन लीटर टन की पानी पुरवठा योजना घोषित की थी। भंडारा नगर परिषद् ने २% राशी खर्च करनी थी और शेष राशी से सरकार इस परियोजना का खर्च उठा रही है। भंडारा को चेतन पैटर्न बंधारा दिलवाने वाले पूर्व नगराध्यक्ष भगवान् बावनकर ने बताया की परियोजना के शुरुवाती कार्य किये जा चुके हैं और उपग्रहों के माध्यम से पानी की जानकारी इकठ्ठा की गयी है और परियोजना का काम शुरू है।  इस परियोजना से भंडारा शहर में घर घर पानी पहुँचने की व्यवस्था को तो बल इलेगा मगर पानी के प्रमुख स्त्रोत वैनगंगा नदी में पिछले एक साल में कई गुना प्रदुषण बढ़ जाने से शहर पर खतरा मंडरा रहा है।

वैनगंगा का विहंगम दृश्य

वैनगंगा का विहंगम दृश्य

गौरतलब है की नागपुर शहर का सारा कचरा लेकर नाग नदी का मिलन वैनगंगा नदी से होता है। इस कचरे में जानलेवा रसायनों के अलावा भांडेवाडी का मलनिस्सारण भी किया जाता है। यह पानी वैनगंगा पहुंचते तक ज़हर का रूप ले लेता है। नाग नदी के वैनगंगा नदी से मिलते ही वैनगंगा का सारा जल प्रदूषित होने लगता है। गोसेखुर्द परियोजना के बांध की वजह से यह दूषित पानी हजारो टन जानलेवा कचरे के साथ वैनगंगा के बैकवाटर्स को प्रदूषित किये जा रहा है। पिछले २ सालो से गोसेखुर्द के आसपास लाखो मछलियां मरने की वजह से से किसानो को नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदूषित बैकवाटर जब आयुध निर्माणी जवाहर नगर पहुंचा तो वहां दूषित पेयजल की समस्या बढ़ी है। अब यह दूषित पानी भंडारा शहर को घेर रहा है जिस से कार्धा स्थित घाटों पे काले रंग का पानी देखा जा सकता है। इसी स्थान से भंडारा नगर परिषद् पानी ले कर भंडारा नगरवासियों को वितरित करती है। नगर परिषद् की वितरिकाओं के साथ भूजल भी प्रदूषित होने के आसार बढ़ गए हैं और विपुल जलसंपदा और भूजल के लिए मशहूर भंडारा जिले में प्रदूषित पानी एक गंभीर मुद्दा बनता नज़र आ रहा है।

–    नदीम खान

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