Published On : Sat, Sep 13th, 2014

बुलढाणा : सोयाबीन और कपास पर ‘ऊंट’ का हमला

Advertisement


मक्के को चट कर रही खोड़, हजारों हेक्टेयर की फसलें खतरे में

Soyabeans
बुलढाणा

लगता है, जैसे मुश्किलें किसानों के जीवन का अभिन्न अंग बन गई हैं. एक से पीछा छूटा नहीं कि दूसरी आ खड़ी होती है. पिछले साल की अतिवृष्टि और इस वर्ष बीज-खाद की आसमान छूती कीमतों तथा फसल कर्ज के लिए भाग-दौड़ से थोड़ी फुर्सत मिली ही थी कि अब खरीफ की फसलों पर विभिन्न इल्लियों के हमले से किसान परेशान हो गया है. पिछले कुछ दिनों में बादलों के आसमान पर डेरा डालने के चलते जिले के हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में फैली सोयाबीन और कपास की फसल पर ‘ऊंट’ का हमला हो गया है. इतना ही नहीं, मक्के पर खोड नामक मक्खी ने आक्रमण कर दिया है. दोनों मिलकर किसानों का भारी नुकसान कर रही हैं.

दगाबाजी और फिर जीवनदान
इस साल करीब एक माह देरी से आई बारिश के चलते किसानों ने देरी से बुआई की. फिर बीस दिन के लिए बारिश गायब हो गई. इससे पहले बुआई कर चुके किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ी. जिले में 7 लाख 61 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में से करीब 2 लाख 58 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास और करीब ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई की गई है. उसके बाद 72 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तुअर, 48 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में ज्वार, 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का, 44 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग और 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की बुआई की गई है. बुआई के बाद फिर बारिश दगा दे गई. अभी किसानों की नजरें आसमान को ताक ही रहीं थी कि बारिश फिर शुरू हो गई और फसलों के साथ ही किसानों को भी जीवनदान मिल गया.

Gold Rate
23 April 2025
Gold 24 KT 96,500 /-
Gold 22 KT 89,700 /-
Silver / Kg 96,800 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

इल्लियों के प्रकोप से फसलें खतरे में
लेकिन पिछले कुछ दिनों से बादल घिरे हुए हैं. इससे खेतों में विभिन्न किस्म की इल्लियों का प्रकोप बढ़ गया है. इससे खरीफ की फसल खतरे में आ गई है. जिले में करीब 50 से 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कपास और सोयाबीन की फसलों पर ऊंट नामक इल्ली ने हमला कर दिया है. ऊंट इल्लियों का सर्वाधिक असर बुलढाणा, मलकापुर, चिखली और धाड़ इलाके में देखा जा रहा है. ऊंट ने सोयाबीन के पत्तों पर फूलों को ध्वस्त कर दिया है. उधर, कपास के एक-एक झाड़ पर सैकड़ों मक्खियां बैठ कोमल पत्तों को कुतर रही हैं.

कीटनाशक के दाम फिर बढ़े
इस नए संकट से निबटने के लिए एक बार फिर किसानों को कर्ज लेने की नौबत आ गई है, ताकि कीटनाशक खरीदा जा सके और इन ‘दुश्मनों’ का नाश किया जा सके. मौका साधकर व्यापारियों ने भी कीटनाशक के दाम बढ़ा दिए हैं. एक हजार में मिलने वाले कीटनाशक के डिब्बे के डेढ़ हजार रुपए वसूल किए जा रहे हैं. किसानों ने कृषि विभाग से इस संबंध में मार्गदर्शन करने की अपील की है, ताकि कुछ तो फसल बच सके.

Advertisement
Advertisement