नए इच्छुकों की लम्बी फेरहिस्त ,बबलू बनेंगे भाजपाई
नागपुर टुडे
हिंगणा विधानसभा में दो बड़े इंड्रस्ट्रिअल क्षेत्र से लबरेज है.यह क्षेत्र हिंदी भाषी क्षेत्रो में प्रमुखता से गिनी जाती है.अधिकांश मतदाता इंड्रस्ट्रिअल क्षेत्रो के कम्पनियो में काम करते है.यह क्षेत्र राजनैतिक समीकरण के हिसाब से राष्ट्रवादी कांग्रेस और भाजपा के हिस्से में आती है.अबतक राष्ट्रवादी कांग्रेस का दबदबा था लेकिन पिछले चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस को नए-नवेले भाजपाई उम्मीदवार ने घर बैठा दिया था लेकिन भाजपाई विधायक ने क्षेत्र के मतदाताओ की लाज नहीं रखी इसलिए मतदाता वर्ग उन्हें दुबारा मैदान में देखना नहीं चाह रहा है.नतीजतन समीकरण बड़ी तेजी से बदल रहा है
हिंगणा वर्तमान विधायक भाजपा का विजय घोड़मारे है,जिसने एनसीपी दिग्गज नेता रमेश बंग को घर का रास्ता दिखाकर ५ साल के लिए बैठा दिया। वैसे आम धारणा यह है कि इस दफे भी बंग-घोड़मारे के मध्य सीधी टक्कर होने की संभावना है.वही मतदाता वर्ग घोड़मारे के खिलाफ वातावरण तैयार किये हुए है.वही तीसरा प्रमुख उम्मीदवार कांग्रेस के नगरसेवक प्रफुल्ल गुरधे पाटिल जो निर्दलीय मैदान में नज़र आ सकते है.भाजपा ने उम्मीदवार बदला तो प्रफुल गुरधे पाटिल पर दाव लगा सकती है तो आरएसएस के सूत्रों का कहना है कि आगामी चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बदल है इसलिए आरएसएस नए उम्मीदवार वह भी हिंदी भाषी की खोज में लीन है.सूत्र बतलाते है कि आरएसएस की चाहत के उम्मीदवारों की सूची में अधिवक्ता बी जे अग्रवाल का नाम अग्रणी है.उधर हिंगणा विधानसभा का प्रमुख क्षेत्र राजीव नगर हिंदी भाषी बिहारी बहुल इलाका है ,यहाँ के मतदाता सह कार्यकर्ता भाजपा प्रदेश उत्तर भारतीय आघाडी के उपाध्यक्ष अरुण कुमार सिंह को अगला भाजपा उम्मीदवार के रूप में देखना चाह लिए अपने-अपने ढंग से प्रयासरत है.
इनदिनों कांग्रेस-एनसीपी में सीटों को लेकर बवाल मचा हुआ है.अगर किन्ही कारणों से अलग-अलग चुनाव लड़ी गई तो इस क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट की दावेदारी जिला कांग्रेस की अध्यक्षा सुनीता गावंडे कर रही है,इस सीट से इनके पति नाना गावंडे,ससुर खड़े जरूर हुए थे लेकिन कभी जीत नहीं पाये। कांग्रेस के विचारो में प्रफुल्ल के नाम का जिक्र हो सकता है.
दूसरी और पिछले चुनाव में भाजपा के नए-नवेले उम्मीदवार से हारे एनसीपी के तथाकथित नेता रमेश बंग ने क्षेत्र में अच्छे लोगो को जोड़ने की बजाय विवादास्पद,कालाबाजारियों,धंधे वालो को अपने से बहुत करीब रखा इसलिए लोकल और आम नागरिक सह क्षेत्र के दबंग लोग हमेशा दूर होते चले गए.मजबूत सह ताकतवर कार्यकर्ता को टिकाये रखने के लिए कोई उपाययोजना नहीं की इसलिए पार्टी के नज़र में ऊँचा रहने के बावजूद कार्यकर्ताओ में अच्छी पैठ नहीं रख पाये,यह सिलसिला आज भी जारी है संभवतः यही मुख्य कारण उनके लिए नुकसान का वातावरण तैयार करेगा। और जो लाभार्थी वर्ग रहे है वे उनके साथ नज़र नहीं आएंगे,लेकिन चुनाव जीतते ही फेविकोल का मजबूत जोड़ की तरह चिपक ऐसे जायेंगे जैसे कोई उन्हें हटा नहीं पाये।
बबलू गौतम बना फुटबॉल
एनसीपी का युवा नेता बुटीबोरी निवासी बबलू गौतम राजनीति में कदम रखते ही फूटबाल बन गया,कभी अनिल बाबू तो कभी रमेश बाबू ने किक मारकर पंचर कर दिए,लेकिन एनसीपी के आला नेताओ ने कोई हस्तछेप कर बबलू की गुणवत्ता को समझ आगे नहीं बढ़ाया। बबलू जमीन,मजदुर ठेकेदार सह अवैध धंधो से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा है.इनके पास ७-८ हज़ार मजदुर है.जिनका कभी भी राजनीति इस्तेमाल करते रहे है.इनके बढ़ते कदम से ये सुरक्षित भी नहीं है.इन सब गुणों को भांप पिछले विधानसभा चुनाव में अनिल बाबू ने रमेश बाबू के खिलाफ निर्दलीय खड़ा करवाया था.जिसका फायदा यह हुआ की रमेश बाबू चुनाव हार गए,फिर पार्टी से निकले गए फिर दोबारा रमेश बाबू ने पार्टी में लेकर पद दिलवाया लेकिन कभी भी आगे बढ़ने नहीं दिया ,बबलू कभी सीधा बड़े नेताओ से संपर्क बढ़ाना चाहे तो नेताओ ने झटक दिया।इससे छुब्ध होकर १५ जून को अजित पवार और भास्कर जाधव से मुलाकात कर एनसीपी राम-राम बोल दिया,जबकि पवार ने महामंडल देने का भी आश्वासन दिया था.
दत्ता भाऊ और बबलू साथ-साथ
दत्ता मेघे ५ जुलाई को वर्धा में भाजपा नेता नितिन गडकरी की उपस्थिति में सम्पूर्ण परिवार के साथ भाजपा में प्रवेश लेने जा रहे है.बबलू गौतम और दत्ता मेघे की अहम बैठक में बबलू भी भाजपा में प्रवेश करने जा रहा है.यह सार्वजानिक नहीं हो पाई की किस शर्त पर बबलू भाजपा में शामिल हो रहा है ,यह भी कयास लगाया जा रहा है कि समय आने पर बबलू के नाम पर विधानसभा टिकट के लिए विचार किया जा सकता है.फ़िलहाल बबलू ३-४ सौ गाड़ियों के साथ ५ जुलाई को वर्धा जाकर मेघे के नेतृत्व में भाजपा में प्रवेश करेगा।इसके भाजपा में प्रवेश करने से निश्चित ही राजनितिक समीकरण में बदलाव आएगा। दत्ता मेघे के साथ भाजपा में जाने वालो में दूसरा बड़ा समूह होगा,इससे मेघे की भी ताक़त बढ़ेगी।
मुजीब पठान हुए शांत,लौटे धंधे में
नाना गावंडे के सहारे राजनीति में आये,दीपक कटोले के आशीर्वाद से पदाधिकारी बने,सुबोध मोहिते के संग बुटीबोरी में पैठ बनाई फिर पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व कामठी की टिकट कांग्रेस और हिंगणा की टिकट शिवसेना से ज़माने की कोशिश की लेकिन असफलता हाथ लगी.राहुल गांधी को अपने गाड़ी में बैठाकर लाभ का पद चाहा लेकिन नहीं मिली,पिछले विधानसभा चुनाव समाप्ति के बाद नितिन राऊत के निकट आये लेकिन बात नहीं बनी तो देर-सबेर मुजीब पठान ने अपने पुराने धंधे की ओर रुख कर दिया। इसबार पुराने पार्टनर पटवारी साथी के साथ धंधे में मीडिया कर्मी को भी नया पार्टनर बनाकर शांति से धंधे में मस्त है.