नागपुर: कल 9 अगस्त को वैश्विक आदिवासी दिन था. कल कई जगह पर शहर में आदिवासियों द्वारा इस दिन को मनाया गया. लेकिन दूसरे ही दिन अपने अधिकारों के लिए इन आदिवासियों को आंदोलन करना पड़ रहा है. करीब 10 हजार जाति वैधता प्रमाणपत्रों के मामलों को जाति वैधता प्रमाणपत्र जांच समिति ने प्रलंबित किए गए हैं. जिसके कारण आदिवासी माना जमात के प्रलंबित वैधता प्रमाणपत्रों का तुरंत वितरण करने की मांग को लेकर आदिवासी माना जमात विद्यार्थी युवा संगठन की ओर से सविंधान चौक पर भव्य प्रदर्शन किया गया. जिसमें हजारों की तादाद में माना जमात के विद्यार्थी मौजूद थे. इस दौरान सौ से ज्यादा विद्यार्थियों ने मुंडन कर अपना विरोध दर्शाया. इस दौरान विद्यार्थियों ने बताया कि प्रलंबित प्रमाणपत्रों को लेकर मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, विधायक, सांसद सभी को निवेदन दिया गया है. लेकिन किसी भी मंत्री ने आश्वासन देने के अलावा कोई कार्य नहीं किया. इस प्रदर्शन में छात्राएं और बुजुर्ग भी बड़ी तादाद में शामिल हुए थे.
इस दौरान विद्यार्थियों ने मांग की है कि माना जमात के प्रलंबित जाति वैधता प्रमाणपत्र तुरंत वितरित किए जाए, आदिवासी माना जमात की वैधता प्रमाणपत्र देने में आनाकानी करनेवाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, आदिवासी जमात के लिए संविधान में दिए हुए सभी अधिकार आदिवासियों को दिए जाए, आदिवासी विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप तुरंत देने और किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग रखी गई.
इस आंदोलन में कई सालों बाद इतनी बड़ी तादाद में नागपुर जिले समेत चंद्रपुर, गडचिरोली, वर्धा, यवतमाल, भंडारा व आसपास के अन्य गांव और तहसीलों से भी विद्यार्थी इस आंदोलन में अपने अधिकार के लिए एकजुट हुए. इस आंदोलन में 10 हजार के करीब आदिवासी माना जमात के लोगों ने शिरकत की.