बुलढाणा जिले में 252 शिक्षक हो गए अतिरिक़्त
खामगांव
विद्यार्थियों की पटसंख्या के हिसाब से बुलढाणा जिले की जिला परिषद स्कूलों के 252 अध्यापक अतिरिक्त हो गए हैं, जिससे जिले में शिक्षक समायोजन का मामला गंभीर हो गया है. अतिरिक्त होने के कारण इन अध्यापकों को अप्रैल से वेतन नहीं मिला है. इसके चलते इन शिक्षाकों पर भूखों मरने की नौबत आई है.
शिक्षकों की लापरवाही भी एक कारण
जिला परिषद शाला में पढ़ने वाले छात्रों को सरकार द्वारा विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके बावजूद अभिभावक निजी अंग्रेजी शालाओं में अपने बच्चों को पढ़ाना पसंद करते हैं. जो अभिभावक इन अंग्रेजी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकते वे ही जिला परिषद की स्कूलों में बच्चों को पढ़ाते हैं. जिला परिषद शालाओं की ओर से मुंह मोड़ने की एक वजह अध्यापकों द्वारा छात्रों की शिक्षा के मामले में लापरवाही भी मानी जाती है. बच्चों की काबिलियत को समझकर जहां अंग्रेजी स्कूलवाले उसे बढावा देते हैं, वहीँ जिला परिषद स्कूलों में उनकी अनदेखी की जाती है.
जि.प. शालाओं को मिलते नहीं विद्यार्थी
यही वजह है कि बड़ी डोनेशन की राशि देने के बावजूद निजी शालाओं में प्रवेश मिलना मुश्किल होता है. वहीं दूसरी ओर जिला परिषद की शालाओं में अध्यापक छात्रों के प्रवेश के लिए गली-मोहल्ले में घूमते दिखाई देते हैं. शिक्षकों के प्रयास के बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को जिला परिषद की स्कूलों में पढ़ाने से परहेज करते हैं, जिसके चलते जिला परिषद स्कूलों में बच्चों की संख्या घटी है.
आरटीई कानून बना बाधा
आरटीई कानून के अनुसार बच्चों की संख्या कम होने से अध्यापक की संख्या अतिरिक्त हो गई है. बुलढाणा जिले में 252 अध्यापक अतिरिक्त हैं. 2012 की शालार्थ वेतन प्रणाली के अनुसार जिन शालाओं में छात्रों की पटसंख्या के अनुसार अध्यापक मंजूर हैं, उतने ही अध्यापकों के वेतन निकाले गए तथा अन्य अध्यापकों के वेतन रोक दिए गए हैं.