मामला अरुणकुमार सिंह को मुंगेर लोकसभा का टिकट दिलवाने का
नागपुर टुडे
भाजपा ने जब से अपना कमान नरेंद्र मोदी को थमाया है,तब से मोदी ने पार्टी में खुद को इतना बड़ा बना रखा है कि कोई भाजपाई नेता भी उनसे आसानी से मिल नहीं सकता , मानो मोदी सोनिया गांधी हो,कांग्रेस का केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री को सोनिया गांधी से मिलने बड़े गाजे-बाजे के साथ जाते है और ४-५ दिन इंतज़ार के बाद भी सोनिया गांधी नहीं मिलती तो कार्यकर्ताओ की क्या औकाद है फिर पार्टी कांग्रेस हो या भाजपा।
छोटू नहीं सुनता तो मोदी क्या सुनेगा
ऐसा ही कुछ विगत दिनों घटा,भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी जब से पदमुक्त हुए कोई उनकी आसानी से नहीं सुन रहा,तभी सुनते है जब वे सार्वजनिक रूप से दहाड़ते नहीं,कहते-कहते अपशब्द नहीं कह जाते। गडकरी पदमुक्त होते ही दक्षिण नागपुर का एक सार्वजानिक कार्य के लिए अपने पार्टी के नासुप्र विश्वस्त छोटू भोयर को एक पत्र लिखकर कार्य करने की गुजारिश की लेकिन छोटू भोयर महीने भर घुमाने के बाद भी उसने गडकरी के चिट्ठी का मान नहीं रखा.छोटू भाजपा का कार्यकर्ता था ,तो दूसरी ओर पूर्व भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष व् बिहार भाजपा प्रभारी के तौर पर गडकरी ने पटना दौरे के दौरान नरेंद्र मोदी के पास अपना नाम बताकर अपने करीबी ठेकेदार अरुणकुमार सिंह को मिलने के लिए भेजा,साथ में गडकरी ने नागपुर के भाजपा नेता अशोक धोटे को भी साथ में भेजा ताकि मुलाकात में वजन पड़े लेकिन मोदी ने गडकरी के संदेशा को महत्व नहीं दी.गडकरी ने अरुण कुमार सिंह को मोदी के सामने मुंगेर लोकसभा का दावेदारी पेश करने के लिए मोदी से मिलने को भेजा था.मोदी का अड़ियल रुख इतना तिखा था कि वे बिहार के ८-९ पूर्व-वर्त्तमान भाजपा सांसद को भी मिलने का वक़्त नहीं दिया।
भाजपाई को दरकिनार कर बाहरी प्रेम उफान पर
गडकरी भाजपा में भाजपाइयो को कम ही तहरीज़ देते है,उंगलियो पर गिनने लायक मौके पर भाजपा कार्यकर्ता को महतवपूर्ण जगहो पर बैठाये। वही दूसरी ओर गडकरी ने गैर भाजपाई दमदार लोगो को भाजपा के कोटे से लाभ के पदो पर बैठाने का रिकॉर्ड होल्डर है.फिर चाहे अजय संचेती,अशोक धोटे,नाना शामकुले,सुधाकर देशमुख,कृष्णा खोपड़े,विकास कुंभारे,मितेश भांगडिया,राजेश तांबे,अरुणकुमार सिंह,सुनील अग्रवाल,रमेश शिंगारे आदि क्यों ना हो.इनसे ज्यादा अच्छे-सच्चे भाजपा में तैयार कार्यकर्त्ता की फ़ौज है,फिर भी आजतक पार्टी में दरी उठाने का ही काम करते नज़र आयेंगे। इनमे गिरीश व्यास,संदीप जोशी,प्रवीण दटके,सुभाष अपराजित,दयाशंकर तिवारी आदि लम्बी फेरहिस्त है.
अरुणसिंह ने न मुंगेर ना ही भाजपा के लिए कुछ किया
अरुणकुमार सिंह १९८०-८३ के दशक में मुंगेर से बेरोजगार नागपुर अपने वेकोलि कर्मी जीजा के पास आये,३० साल बाद लक्ष्मीजी के आशीर्वाद से ७-८ राज्यो के pwd सह मीनिंग व् मॉयल के नामचीन ठेकेदार बन गए.छिटपुट समाजसेवा भी की,राजनीति में बाबासाहेब केदार,रणजीत देशमुख और नितिन गडकरी जैसे ३ नाव की सवारी करते करते आज गडकरी खेमे में है.इस निकटता का फायदा उठाते हुए अरुण सिंह ने गडकरी से अपने जन्म स्थल मुंगेर से लोकसभा चुनाव में भाजपा से उम्मीदवारी मांगी,गडकरी ने हाँ कर उन्हें मोदी से मिलने भेज लेकिन आज के माहोल में मोदी के जलवे से गडकरी काफी बौना हो गया है,जबकि गडकरी बिहार भाजपा का प्रभारी है.मुंगेर लोकसभा सीट के लिए रामविलास पासवान ने दावा कर फ़िलहाल अरुण कुमार सिंह के मनसूबे पर पानी फेर दिया है.