गडचिरोली: २००९ के चुनाव में लोकसभा चुनाव में युवाशक्ति के संस्थापक कीर्तीकुमार भांगडिया ने कॉंग्रेस के उम्मीदवार सांसद मारोतराव कोवासे को समर्थन दिया था जिसका नतीजा ये हुआ की कोवासे २८ हज़ार मतों से जीते थे। इसका बहुत बड़ा श्रेय भांगडिया के समर्थन को दिया जाता है। इसके बाद अचानक भांगडिया व चिमुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक इनके बीच मतभेदों के कारण युवाशक्ति संघटना का उदय हुआ। कुछ ही वक्त में युवाशक्ति की गडचिरोली नगरपरिषद, पंचायत समिति चिमुर पर सत्ता स्थापित हो गई। इसीके साथ ही चंद्रपुर व सहकार क्षेत्र की राजनीति में भी युवाशक्ति कि अहम भूमिका है। इसी के कारण गडचिरोली-चिमुर लोकसभा क्षेत्र में युवाशक्ति को बड़ा जनाधार मिला है। युवाशक्ति के भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार अशोक नेते को समर्थन देने से भाजपा की स्थिति मजबूत हुइ है इसमें कोई संदेह नहीं है।
गौरतलब है की २६ जनवरी २०११ को युवाशक्ति के संस्थापक कीर्तीकुमार भांगडिया और चिमुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक विजय वडेट्टीवार के बीच उपजे मतभेदों के कारण युवाशक्ति सदंघटना का उदय हुआ था। विशेष बात ये है की जब युवाशक्ति ने कॉंग्रेस प्रत्याशी कोवासे को २००९ के लोकसभा चुनाव में समर्थन दिया था तो कोवासे को भारी वोटों से जीत हासिल हुई थी और इस बार युवाशक्ति ने भाजपा उम्मीदवार नेते को अपना समर्थन दिया है जिससे मतदारों के बीच ये चर्चा है की भाजपा की स्थिति मजबूत है और उसके जीतने कि सम्भावनाये कॉंग्रेस से अधिक है।