गोंदिया
गोंदिया नगर परिषद के चुनाव में भाजपा-शिवसेना ने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद के चुनाव में बाजी मार ली है. यह दूसरा मौका है जब भाजपा का अध्यक्ष बना है. इसके पूर्व वर्ष 2001 में महज 5 माह के लिए भाजपा के अशोक इंगले कांग्रेस क सहयोग से अध्यक्ष चुने गए थे.
गोंदिया नगर परिषद के चुनाव को लेकर भारी कश्मकश की स्थिति निर्मित हो गई थी. चुनाव के दौरान भारी पुलिस बल नगर परिषद में तैनात किया गया था. नगर परिषद के बाहर भाजपा-शिवसेना के हजारों कार्यकर्ता उपस्थित थे. पहली बार सत्ता में आने की संभावना को देखते हुए कार्यकर्तों को एकजुट किया गया था ग्रामीण क्षेत्र से भी भाजपा के कार्यकर्ता उपस्थित हुए थे.
अध्यक्ष पद के लिए मुकाबला भाजपा के कशिश जायसवाल एवं कांग्रेस के राकेश ठाकुर के बीच हुआ. कशिश को 17 और राकेश को 11 मत मिले. वही उपाध्यक्ष पद के चुनाव में शिवसेना के हर्षपाल रंगारी को 17 और रांकापा के मनोहर वालदे को 12 मत मिले. कशिश जायसवाल 6 मतों से और हर्षपाल रंगारी 5 मतों से विजयी घोषित किये गए. उल्लेखनीय है कि 40 सदस्यीय गोंदिया नगर परिषद में 3 नगरसेवक दलबदल विरोधी कानून के चलते अपनी सदस्यता गवां चुके है. 37 सदस्यों में से 29 सदस्य ही चुनाव के दौरान उपस्थित थे. उसमें से एक सदस्य गप्पु गुप्ता ने अध्यक्ष पद के चुनाव में मतदान नहीं किया, जबकि उपाध्यक्ष के चुनाव में उन्होंने अपने पार्टी के रूप में उपविभागीय अधिकारी के.एन.के. राव और सहायक चुनाव अधिकारी के रूप में मुख्याधिकारी सुमंत मोरे उपस्थित थे. चुनाव के तुरंत पश्चात दोनों ही नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने अपने पद ग्रहण किए. इसके बाद शहर में उनकी विजयी रैली निकाली गई.
विप का उल्लंघन
इस चुनाव के दौरान सत्ता और विपक्ष दोनों ही ओर के सदस्य अनुपस्थित रहे. कुल 8 सदस्य सदन में उपस्थित नहीं थे. भाजपा के महेंद्र उइके के बारें में पहले से ही खबरे आ यही थी कि वे राजस्थान गए साथियों के साथ जाने की बजाए भूमिगत हो गए है. चुनाव दौरान अनुपस्थित रहकर उन्होंने इस बात को बल दिया है. उनके अलावा भाजपा के ही अनिल पांडे भी इस चुनाव में अनुपस्थित थे. अनुपस्थित रहनेवाली सदस्यों में राकांपा के विद्या बानेवार, कोमल आहूजा, शारदा हालानी और चन्द्रकला देशमुख का समवेश है उनके अलावा निर्दलीय विजय रगड़े और विष्णु नागरीकर भी चुनाव के दौरान सदन में नहीं पहुंचे.
चर्चा है कि भरी धनबल का उपयोग चुनाव के दौरान हुआ है. महत्वपूर्ण यह है कि भजपा की ओर से सदन में पार्टी के गटनेता दिनेश दादरीवाल और राकांपा के गटनेता पंकज यादव पार्टी की और से विप का उल्लंघन किया गया है. संभवतः भाजपा की ओर से अपने अनुपस्थित सदस्यों पर कार्रवाई करेगी या नहीं यह देखने लायक बात होगी.
तिरोडा में अजय गौर अध्यक्ष बने
तिरोडा नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में अजयसिंह गौर तथा उपाध्यक्ष के रूप में ममता आनंद बैस का निर्विरोध निर्वाचन 6 अगस्त को हो गया है. 17 सदस्यीय तिरोडा न.प. में राष्ट्रवादी कांग्रेस बहुमत में है. अकेले रांकपा के 15 सदस्य है. भजपा का 1 और कांग्रेस का 1 सदस्य यहां है. अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र अयज गौर और उपाध्यक्ष पद के लिए सिर्फ ममता बैस का परचा भरा गया. जिसकी वजह से दोनों ही उम्मीदवारों को निर्विरोध निर्वाचित किया गया है. चुनाव निर्णय अधिकारी के रूप में उपविभागीय अधिकारी प्रविण महिरे और सहायक चुनाव निर्णय अधिकारी के रूप में प्रभारी मुख्याधिकारी नायब तहसीलदार विलास कोकवार ने काम संभाला.
गुस्सा क्यों फूटा
कांग्रेस-राकांपा की मिलीजुली सत्ता नगर परिषद में अनेक वर्षों से है. दोनों ही दलों में आपसी खींचतान हमेशा ही चलती रही है. लेकिन अंतिम समय उनके बीच सुलह हो जाती रही है. पहली बार राकांपा के 4 पार्षद पूरी तरह अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव साझा उम्मीदवार को मतदान नहीं किया. राकांपा समर्थित दोनों निर्दलीय भी उपस्थित रहे. इसे क्या कहा जाए ? क्या यह कांग्रेस के नगराध्यक्ष पद के उम्मीदवार को हराने के लिए किया गया प्रयास है या फिर कोई और साजिश ? जो भी है लेकिन इसके जड़ में एक सुनियोजित रणनीति जरूर है ऐसा राजनितिक हस्तियों का कयास है. इस प्रयासों के बेहद गंभीर परिणाम भविष्य में सामने आ सकते है.