Published On : Thu, Jun 19th, 2014

मेघे-मुलक परिवार विवाद गहराया, मामला पश्चिम नागपुर से चुनाव लड़ने का

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सागर के हार ठीकरा मेघे ने मुलक के माथे फोड़ा

Untitled-1 (1)नागपुर टुडे
मुलक-मेघे परिवार में कभी नहीं पटी,जब भी सुलह हुई चंद महीनो बाद पुनः नए मुद्दे को लेकर विवाद को लेकर मेघे परिवार में अंतर्गत तनातनी सुनाई देती रही.इस दफे नया विवाद सागर मेघे की हार और समीर मेघे का पश्चिम नागपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने के मुद्दे पर विवाद गहराता जा रहा है,विवाद का ठिकरा राजेंद्र मूलक के माथे पर फोड़ा जा रहा है.इस चक्कर में किसी एक परिवार का राजनैतिक बेडा गर्क होना लाजमी है.

विगत कुछ दिनों से दत्ता मेघे परिवार द्वारा भाजपा में जाने निर्णय से राजेंद्र मुलक काफी हतोत्साहित है,उससे भी ज्यादा समीर मेघे द्वारा पश्चिम नागपुर से भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ने निर्णय से छुब्ध है.मुलक के एक करीबी के अनुसार राजेंद्र का मेघे परिवार पर शाब्दिक वॉर कर रहे रहे है कि जब मैं पिछले २ साल से पश्चिम नागपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूँ फिर समीर मेघे भाजपा से से पश्चिम नागपुर की सीट के लिए क्यों दबाव बना रहा है.अगर चुनाव लड़ना ही है तो नागपुर के अन्य सीट की दावेदारी करता। इस गर्मागरम मुद्दे को लेकर दोनों गुट के करीबी पशोपेश में है.अब यह आलम है कि उक्त मुद्दे को लेकर कभी दोनों परिवारो शुभचिंतक एक राय रखते थे,अब अलग-अलग गुटों में नज़र आ रहे है,जो दोनों गुटों से तालमेल रखे है, वे छुप-छुप कर दोनों तबले पर रोटी सेक रहे है.

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दूसरी ओर मेघे और मुलक परिवार में विवाद लोकसभा चुनाव में वर्धा से सागर मेघे के हार जाने पर गहराने लगा.दरअसल सागर मेघे अपने साले राजेंद्र मुलक के जोर देने पर वर्धा से लोकसभा चुनाव लड़ा,जबकि सागर की कभी भी कोई चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं रही,जब भी चुनाव लड़ा किसी के न किसी के दबाव में चुनाव लड़ने को मजबूर हुआ.हश्र यह हुआ की राजनैतिक जीवन में पनप नहीं पाया। दरअसल सागर के हार की कई वजह है, लेकिन मेघे परिजनों सह मित्रमंडली द्वारा यह फैलाया जा रहा कि वर्धा से सागर को चुनाव लड़वाने की जबरदस्ती की लेकिन उल्लेखनीय योगदान देने के बजाय वर्धा कम ही भटके जबकि मुलक राज्य के प्रमुख मंत्री सहित वर्धा जिले के पालकमंत्री भी है.वही राजेंद्र मूलक गुट के करीबियों का कहना है कि सागर के हार में मुलक का कोई दोष नहीं बल्कि दत्ता मेघे का है,उन्होंने अपने संसदीय कार्यकाल में वर्धा में कांग्रेस सहित मतदाताओ को तहरीज़ नहीं दी.विवाद इतना गहरा गया की मुलक के हस्तक्षेप के बाद भी बात नहीं बनी.अब आलम यह है कि सागर ने लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजनैतिक सन्यास की घोषणा करते हुए अपने करीबियों से कहा की अब कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे सिर्फ धंधे पर ध्यान देंगे।

उल्लेखनीय यह है कि अगर कांग्रेस से मुलक और भाजपा से समीर ने पश्चिम से चुनाव लड़ा तो काफी रोचक चुनाव आएगा,एक तरफ भाजपा तो दूसरे तरफ कांग्रेस उम्मीदवार से नाराज़ अपनी भड़ास निकालेंगे। इस पारिवारिक विवाद का फायदा उठाते हुए भाजपा के सांसद समीर को जितवाने हेतु ताकत झोंक देंगे ताकि अगली लोकसभा चुनाव के पूर्व पनप रहा कट्टर प्रतिद्वंदी का समूल अभी ही नष्ट हो जाये।

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