यवतमाल
मई माह की शुरुआत भी नहीं हुई, अप्रैल के अंतिम सप्ताह में ही जिले के कई गांवों में भीषण जलसंकट दिखाई देने लगा है. कई गांवों के नागरिकों को पीने के पानी के लिए तीन से पांच किलोमीटर तक दूरी तय करनी पड़ती है. महिलाओं को अपने बर्तन लेकर भीषण गर्मी में पैदल पानी भरने जाना पड़ता है.
जिले के पहाड़ी क्षेत्रों में बसे गांवों में इन दिनों जलसंकट गहरा गया है. बिटरगांव क्षेत्र के भोजनगर, पिंपलगांव, जेवली, मथुरानगर, मोरचंडी, एकंबा, सोनदाभी आदि सहित अनेक गांवों में जलसंकट निर्माण हुआ है. गांवों के जलस्रोत, कुएं, हैंडपंप, निजी बोरवेलों में भी पानी नहीं आ रहा है.
तापमान अचानक बढ़ जाने से जलस्तर नीचे चला गया है. सार्वजनिक नल योजना के कुओं में भी पानी नहीं है. इस क्षेत्र से पैनगंगा नदी बहती है. इस पैनगंगा नदी में भरपूर पानी है, पर इस क्षेत्र में अभयारण्य रहने से वन कानून के तहत पाइपलाइन के लिए खुदाई नहीं की जा सकती.
ऐसे में पैनगंगा नदी में पानी रहते हुए भी नागरिक पानी के लिए भटकते हैं. कुछ जगह इतनी भीषण स्थिति है कि लोगों को दिनभर पानी के लिए भटकना पड़ता है. इस क्षेत्र की ग्रामपंचायत के सरपंचों ने जिला प्रशासन को प्रस्ताव भेजकर भीषण जलसंकट दूर करने के लिए शीघ्र उपाय योजना करने की अपील की है.