स्टेट बैंक ने प्रस्ताव भेजने में किया असाधारण विलंब
यवतमाल
महात्मा फुले पिछड़े वर्गीय महामंडल की कर्जमाफी योजना के तहत स्टेट बैंक ने निर्धारित अवधि से अधिक विलंब से प्रस्ताव महामंडल को भेजा है, जिससे यवतमाल जिले और राज्य के हजारों लाभार्थियों को इस योजना से वंचित रहने की नौबत आ गई है. इस विलंब से अब लाभार्थियों के बीच कानाफूसी शुरू हो गई है कि योजना का लाभ उन्हें मिलेगा भी या नहीं.
दरअसल, जिन कर्जदारों के 31 मार्च 2008 तक राज्य के 6 पिछड़े वर्गीय महामंडलों के कर्ज बकाया थे उनके लिए राज्य सरकार ने कर्जमाफी योजना की घोषणा की थी. योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार के सामाजिक न्याय विभाग ने सभी महामंडलों को पर्याप्त निधि भी उपलब्ध करा दी थी. कर्जमाफी की प्रक्रिया पूर्ण करने लिए सभी महामंडलों और सामाजिक न्याय विभाग ने राष्ट्रीयकृत बैंकों से कर्जमाफी के प्रस्ताव भेजने को कहा. इस संबंध में सरकार का एक परिपत्रक भी सभी महामंडलों और बैंकों को भेजा गया. संबंधित बैंकों ने भी एकमुश्त लाभ मिलने की उम्मीद में तत्काल महामंडलों को प्रस्ताव भेज दिया. इसके चलते अनेक लोगों को योजना का लाभ मिला भी, मगर भारतीय स्टेट बैंक द्वारा निर्धारित अवधि से काफी विलंब से प्रस्ताव भेजने के कारण राज्य भर के हजारों कर्जदारों को इस योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है. अब यह आशंका निर्माण हो गई कि इसके आगे इस योजना का लाभ मिलेगा भी या नहीं.
6 महामंडलों की स्थापना
अनुसूचित जाति-जनजाति, भटक्या-विमुक्त जाति एवं अल्पसंख्यक समाज की आर्थिक उन्नति के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के माध्यम से
पिछड़े वर्गीय विकास महामंडलों की स्थापना की थी. इसमें शबरी आदिवासी विकास महामंडल, महात्मा फुले आर्थिक विकास महामंडल, स्व. वसंतराव नाईक आर्थिक विकास महामंडल, संत रोहिदास आर्थिक विकास महामंडल, लोकशाहिर अन्नाभाऊ साठे आर्थिक विकास महामंडल और मौलाना अबुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक महामंडल शामिल हैं.
प्रशिक्षण भी, कर्ज भी
इन महामंडलों के माध्यम से सुशिक्षित बेरोजगार युवक-युवतियों को विभिन्न व्यवसायों के लिए कर्ज दिया गया. उसी तरह विभिन्न स्पर्धा परीक्षाओं और व्यवसायों का प्रशिक्षण भी दिया गया. अत्यल्प कर्ज के कारण कई लोगों का व्यवसाय टिक ही नहीं पाया. जिनका व्यवसाय किसी तरह टिक गया, वह लोडशेडिंग और अन्य मुश्किलों के कारण बिखर गया. इससे आगे लोग कर्ज लौटा नहीं पाए. कर्ज बकाया होने के कारण दोबारा कर्ज मिलने की गुंजाइश भी नहीं थी. कर्ज वापस नहीं मिलने के कारण महामंडल की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई.
चुनावी वादा किया पूरा
2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य के कांग्रेस-राकांपा गठबंधन ने 31 मार्च 2008 तक की संपूर्ण कर्जमाफी का वचन दिया था. उसी के अनुरूप सरकार ने छहों महामंडलों की कर्जमाफी की घोषणा की. सरकार ने करोड़ों की निधि भी उपलब्ध कराई. अनेक बैंकों ने महामंडल और राज्य सरकार के अनुरोध का आदर करते हुए कर्जमाफी के प्रस्ताव भेजे, लेकिन स्टेट बैंक ने निर्धारित अवधि से काफी बाद में प्रस्ताव भेजे, इसके चलते जिले और राज्य के हजारों लाभार्थियों को अब तक योजना का लाभ नहीं मिला है.
अब तो प्रस्ताव भेजें, दिलासा दें
महामंडल के सूत्रों ने बताया कि बार-बार बैंकों से पूछताछ की गई, प्रस्ताव भेजने की अपील भी की गई. उसके बाद महामंडलों के व्यवस्थापकीय संचालकों के साथ बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई बैठक में यह मुद्दा उठा और बैंकों को तत्काल कर्जमाफी का प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया गया. कर्जदारों का कहना है कि अब तो भी बैंक कर्जमाफी के प्रस्ताव भेजकर बाकी कर्जदारों को दिलासा दे.