शंकरपूर
सरकार की ओर से ओलावृष्टि प्रभावित किसानों के लिए मुआवजे की घोषणा तो की गई लेकिन किसान अब भी मुआवज़े से वंचित हैं. किसानो की माने तो कृषि अधिकारी व पटवारी अपनी ज़िम्मेदारी सही तरीके से नहीं निभा रहे और गरीब किसानों को उनका हक़ नहीं मिल रहा.
जानकारी के मुताबिक़ प्रभावित खेतों का सर्वे तक सही ढंग से नहीं किया गया. किसानों की माने तो खेतों में जाकर सर्वे करने की बजाय अधिकारीयों ने कार्यालय या घर में ही बैठकर रिपोर्ट तैयार कर ली है. जिन किसानों ने अधिकारियों से मुलाक़ात कर अपने नाम और भरपाई की जानकारी दर्ज़ करवाई उनको बिना किसी जांच के मुआवज़ा मिलने का आरोप किसान कर रहे हैं. इन पुरे मामलों में कृषि अधिकारी व पटवारी के एक दूसरे से मिले होने की बात भी किसान कर रहे हैं.
जिन किसानों को मुआवज़ा नहीं मिला है उन्होंने जब तहसील कार्यालय जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश की तब बचे हुए कीसानो के 4 करोड़ मुआवज़े की रकम आने में समय है और इसी वजह से किसानों को मुआवज़ा देने में विलंभ होने की बात तहसील कार्यालय के अधिकारियों ने कहि लेकिन साल भर का वक्त गुज़र जाने के बाद भी किसानों के हाँथ खाली ही हैं. किसानों की माने तो मुआवजा वितरण में घोटाले की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. लोगों की ओर से मामले की जांच के साथ ही सर्वे कर किसानों को जल्द मुआवजा देने की मांग की जा रही है.