Published On : Mon, Jun 23rd, 2014

सुनील केदार की रणनीति पर निर्भर है देशमुख परिवार का राजनैतिक भाविष्य

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नागपुर टुडे
सावनेर विधानसभा में लगभग १०० दिन बाद राज्य में होने जा रही विधानसभा चुनाव का रंग चढ़ने लगा है.आगामी चुनाव का प्रत्येक समीकरण वर्तमान कांग्रेसी विधायक सुनील केदार से जुडी हुई देखी जा रही है.यानि विधानसभा चुनाव केदार के इर्द-गिर्द नज़र आएगी और नागपुर ग्रामीण की राजनीति में प्रभाव रखने वाले केदार-देशमुख गुट ने समझदारी-सूझबूझ से काम लिया तो दोनों परिवार के कम से कम २ और अधिक से अधिक ३ सदस्य राज्य विधानमंडल में नज़र में आएंगे।

कांग्रेस के पास उम्मीदवारों का तोटा तो भाजपा की लम्बी फेरहिस्त

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सावनेर विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के पास शिवाय सुनील केदार के दूर-दूर तक एक भी दमदार उम्मीदवार नहीं है,केदार भी कांग्रेस के बदौलत नहीं बल्कि अपने बल पर चुनाव हार-जीत का सामना करता रहा है.यानि यह ऐसा बरगद का झाड़ बनकर उभरा कि कोई कांग्रेसी इस क्षेत्र में पनप नहीं पाया ,हालाँकि कई असफल कोशिशें भी हुई ,लेकिन विधानसभा लड़ने लायक कोई कांग्रेसी तैयार नहीं हो पाया। वही भाजपा के पास उम्मीदवारों की कमी नहीं है,स्थानीय स्तर पर भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव पोतदार,सोनबा मुसले,दादा राव मंगले,अरुणकुमार सिंह और ऊपरी स्तर पर आशीष देशमुख आदि चुनाव लड़ने के इच्छुक है.देशमुख ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से लड़ते हुए कांग्रेसी उम्मीदवार को खून के आंसू रुलाया था.लेकिन अंत में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई थी.

भाजपा-सेना अदला-बदली कर सकती है सीटें

पिछले विधानसभा चुनाव तक शिवसेना के पास जिले के ६ विधानसभा सीटों में से ३ सीटें हुआ करती थी,जिसमें रामटेक,कलमेश्वर-हिंगणा,काटोल लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा-सेना के आपसी समझौते से नागपुर ग्रामीण यानि रामटेक लोकसभा की ४ विधानसभा सीट(kamptee,उमरेड,हिंगणा,सावनेर ) भाजपा और २ विधानसभा सीट(रामटेक,काटोल) सेना के कोटे में आई.बताया जा रहा है कि यह अदला-बदली सिर्फ पिछले चुनाव तक ही थी.इस सूरत में सावनेर-कलमेश्वर के शिवसैनिक सावनेर-कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र को पुनः प्राप्ति हेतु शिवसेना सुप्रीमो के समक्ष गुहार लगा रहे है.दूसरी और काटोल विधानसभा सेना के कोटे में रहा,वहाँ से सेना ने किसी को भी खड़ा किया,बड़ी मार्जिन से हार गए.इसलिए इस दफे काटोल भाजपा अपने पास लेकर सावनेर सेना को सोची-समझी रणनिति के तहत थमा सकती है.

भाजपा की रणनीति में हो सकता है बदलाव !

भाजपा उसी शर्त पर सावनेर सीट छोड़ेगी,जब भाजपा नेता पर उनके इच्छुकों का भारी दबाव आएगा और उन्हें उम्मीदवार तय करने सह सावनेर-कलमेश्वर कार्यकर्ताओ एकता खंडित होने का डर सताएगा। यह भी मुमकिन है कि भाजपा का केदार प्रेम उमड़ कर सामने आया तो भी भाजपा सीट छोड़ सेना को थमा सकती है.और बदले में काटोल लेकर काटोल के पूर्व नगराध्यक्ष चरणसिंग ठाकुर को उम्मीदवारी दे सकती है.रही बात सावनेर की तो केदार कांग्रेस को राम-राम कर सेना का भगवा चोला ओढ़ सकते है,यह सब ऊपरी स्तर की राजनीती का भाग होगा तो येन मौके पर होगा,तब कांग्रेस के पास तैयार नया उम्मीदवार को उतरने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। यह सब तब ही मुमकिन हो सकता है जब गडकरी-केदार की मंत्रणा और केदार-देशमुख का राजनैतिक समझौता होगा। समझौता हो गया तो आशीष देशमुख को भाजपा पश्चिम नागपुर से उम्मीदवारी दे सकती है. भाजपा के पास हर मामले में सक्षम उम्मीदवार का तोटा है.केदार-देशमुख के सकारात्मक समझौते का असर रामटेक विधानसभा पर भी पड़ना लाजमी है,यहाँ से कांग्रेस देशमुख परिवार के कनिष्ट पुत्र अमोल को उम्मीदवारी दे सकती है,अमोल की बेडा पर केदार के अलावा कोई नहीं करवा सकता है.

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