Published On : Tue, Jul 12th, 2016

मनपा चुनाव २०१७: विपक्ष में बिखराव तो सत्ताधारी एकसाथ

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कागजो पर मजबूत दिख रही भाजपा
आगामी चुनाव में दिखेगा असर

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नागपुर: मनपा में सत्ताधारी पक्ष आगामी मनपा में हैट्रिक बनाने के लिए वर्ष पर पहले सभी पहलुओं में चिंतन-मनन कर जो योजना तैयार किया है वह काफी प्रभावी है। जिसका असर दिखने लगा है। तो दूसरी ओर चुनावी दंगल में कूदने वाली अन्य दल नई प्रभाग रचना का सार्वजानिक होने का इंतज़ार कर रहे है। अगर यही आलम रहा तो कोसो आगे निकल चुकी सत्ताधारी दल को रोकने के लिए काफी पसीने बहाने पड़ेंगे। इसके बावजूद कोई चमत्कार ही सत्ताधारी के रंग में भंग कर सकता है।

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केंद्र और राज्य सह मनपा में सत्ताधारी भाजपा नागपुर मनपा में हैट्रिक बनाने के उद्देश्य से तैयार किये योजना के अनुसार उसे अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। यह साफ़ है कि आगामी मनपा चुनाव के मद्देनज़र प्रत्येक प्रभाग में एक नेतृत्वकर्ता जो सम्पूर्ण प्रभाग में प्रभावी हो। उसी के नेतृत्व में कम से कम अन्य २ नगरसेवक/नगरसेविका को जितवाना पहला उद्देश्य है.

इस हिसाब से सत्ताधारी पक्ष के “थिंक टैंक” के सदस्यों ने सम्पूर्ण शहर भर में प्रत्येक प्रभागों में से ३० प्रभाग किसके नेतृत्व में लड़ा जायेगा यह तय कर चुकी है। इस समीकरण के हिसाब से संभावित वायुसेना/मकरधोकडा/हजारी पहाड़ प्रभाग से भाजपा ने जो उम्मीदवार तय किये है, इसके अनुसार एस.टी. कोटे से पूर्व महापौर मायाताई ईवनाते, एस.सी. कोटे से पूर्व उपमहापौर संदीप जाधव, ओ.बी.सी. कोटे से जगदीश ग्वालवंशी और ओपन कोटे से साधना बरडे को खड़ा करने की मंशा है.

अगर सब कुछ योजनानुसार रहा तो इस समीकरण को भेदने के लिए विपक्ष को काफी संघर्ष करना पड़ेगा। सत्ताधारी पक्ष के नेता मंडली जिताऊ उम्मीदवार को अपनी ओर आकर्षित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे वही चुनाव लड़ने के इच्छुक घाघ उम्मीदवार फ़िलहाल शांत है। मौके की नजाकत को देख अपनी रणनीति अख्तियार करेंगे।

सूत्र बतलाते है कि उक्त समीकरण जैसी अन्य ३० प्रभाग के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जा है। परिस्थिति के मद्देनज़र इसमें मामूली फेरबदल हो सकते है। इस उच्च कोटी की रणनीति को पछाड़ने के लिए समय रहते विपक्ष की एकजुटता सह सत्ताधारी विरोधी लहर और उनकी खामिया ही उनको हैट्रिक बनाने से रोक सकती है।

उल्लेखनीय यह है कि शहर में सबसे बड़ी विपक्षी दल के बिखराव सार्वजानिक है। आज तक शहर की नई कार्यकारिणी नहीं घोषित हुई। इस हिसाब से पदाधिकारियों को कार्यो का बंटवारा नहीं हुआ। पुरानी कार्यकारिणी के पदाधिकारी अपने-अपने स्तर से सक्रिय है। समय रहते कांग्रेस में एकता नहीं हुई तो आगामी चुनाव में कांग्रेस को फिर विपक्ष में बैठने की नौबत आ सकती है।

– राजीव रंजन कुशवाहा

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