छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान मंगजवार से नहाय खाय से शुरू होगा। आज छठ व्रती सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का संकल्प लेंगे। 26 अक्टूबर को छठ व्रती ढलते सूर्य को और 27 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना व्रत पूरा करेंगे। इस पर्व में छठी मइया के साथ सूर्यदेव की आराधना की जाती है।
कार्तिक माह की षष्ठी को डूबते हुए सूर्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य को देने की परंपरा है। शाम को अर्घ्य को गंगा जल के साथ देने का प्रचलन है जबकि सुबह के समय गाय के दूध से अर्घ्य दिया जाता है। यह पर्व खास तौर पर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
25 अक्टूबर को खरना होगा जब पूरे दिन उपवास रहकर व्रती शाम को खीर-रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे। 26 अक्टूबर को संध्याकालीन अर्घ्य का दिन है, इस दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दी जाएगी। यह पूजा नदी, तालाब, पोखर के किनारे की जाती है। 27 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य का दिन है। इसके साथ ही चार दिनों के छठ व्रत का समापन हो जाएगा।