नागपुर – विदर्भ में हुए सिंचन घोटाले की जाँच के लिए बनायीं गयी एंटी करप्शन ब्यूरो की एसआयटी टीम ने शनिवार को चार मामले दर्ज कराये है । ये सभी मामले अहम गोसीखुर्द सिंचन परियोजना से जुड़े है। शहर के सदर थाने में इस परियोजना से जुड़े अधिकारी जो इस घोटाले में शामिल थे उनके ख़िलाफ़ ये सभी मामला दर्ज कराया गया है।
गोसीखुर्द परियोजना की जिम्मेदारी विदर्भ सिंचन विकास महामंडल के पास है ये सभी अधिकारी इसी विभाग के है। पहला मामला परियोजना के मुख्य नहर में हुए भ्रस्टाचार से जुड़ा है। एसआयटी ने अपनी जाँच में पाया की इस नहर के 68 किलोमीटर से 90 किलोमीटर के बीच काम की निविदा को बढ़ाया गया साथ ही अवैध और निम्न स्तर की निविदा को मंजूरी देने का काम किया गया।
नहर में प्लास्टर और अन्य काम घटिया दर्जे का पाया गया। इस मामले में तत्कालीन विभागीय लेखाधिकारी गुरुदास मानवटकर,अधीक्षक अभियंता संजय खोलापुरकर,तत्कालीन मुख्य अभियंता सोपान रामराव सूर्यवंशी और तत्कालीन कार्यकारी संचालक देवेंद्र परशुराम शिर्के की संलिप्तता थी। इस सभी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कराया गया है। दूसरा मामला दायी तरफ की नहर में हुए भ्रस्टाचार से जुड़ा है। मिट्टी डालने और निर्माणकार्य में पहले मामले की ही तरह इसमें भी अवैध निविदा को मंजूरी दी गयी थी। इस मामले में तत्कालीन कार्यकारी संचालक रो म लाडगे के साथ गुरुदास मानवटकर,संजय खोलापुरकर, सोपान रामराव सूर्यवंशी को आरोपी बनाया आया है।
तीसरे मामले में जो दाहिने भाग की नहर के घोडाझरी शाखा के अंतर्गत निर्माणकार्य के लिए पूर्ववत दोनों मामलों की ही तरह भ्रस्टाचार को अंजाम दिया आया। इस काम में तत्कालीन कार्यकारी अभियंता ललित इंगले के साथ ही दूसरे मामले से जुड़े सभी अधिकारियों की मिलीभगत जाँच में सामने आयी। चौथी एफआयआर गोसीखुर्द परियोजना की दायी और मुख्य नहर में मिट्टी,सीमेंटीकरण और अन्य निर्माणकार्य को लेकर की गयी है। इसमें भी पहले मामले से सभी चारों अधिकारी दोषी बनाये गए है।
राज्य में सिंचन घोटाले को जोर शोर से उठाने वाली बीजेपी ने सरकार में आने के बाद विदर्भ में सिंचन घोटाले को लेकर 27 अप्रैल 2018 को जाँच के लिए दो एसआयटी टीम का गठन किया था। इस घोटाले को लेकर पहले भी कई मामले दर्ज किये जा चुके है।