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नागपुर: कीटनाशक दवाईयों के छिड़काव में मृत किसानों के परिजनों को दो के बजाए चार लाख रूपए का मुवाज़ना देने का आदेश मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दिया है। गुरुवार को जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया। आदेश देने से पहले अदालत ने याचिकाकर्ता जम्मू आनंद की तरफ से उनके वकील अरविंद वाघमारे द्वारा अदालत में प्रस्तुत किये गए कागजपत्रों का अध्ययन किया।
इस अध्ययन के बाद खुद अदालत ने माना की दो लाख रूपए का मुआवजा ना काफी है। मुंबई में रेल्वे ब्रिज में हुई दुर्घटना में सरकार 10 लाख का मुआवजा देती है जबकि कीटनाशकों की वजह से हुई मौत पर दो लाख रूपए,इसलिए ऐसी घटना सामने आने पर दी जाने वाली मदत पर एक पॉलिसी बनाने का आदेश भी अदालत ने सरकार को दिया है। राज्य सरकार ने सिर्फ यवतमाल जिले में मृत हुए 21 किसानों को मदत का ऐलान किया था लेकिन अदालत ने कहाँ की राज्य भर में प्रभावित हुए किसानों के परिवारों को मदत दी जानी चाहिए। इतना ही नहीं इस मामले में दोषी अधिकारियो का डाटा तैयार कर छह महीने के भीतर विभागीय जाँच कर उन पर निलंबन की कार्रवाई किये जाने का आदेश भी अदालत द्वारा दिया गया है।
मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कीटनाशक दवाईयों की बिक्री करने वाली पांच कंपनियों पर बैन लगाया है। इस मामले की भी पूरी जाँच किये जाने का आदेश दिया गया है। साथ ही इन कंपनियों के दोषी पाए जाने पर मुआवजे की राशि इन कंपनियों से ही वसूल किये जाने की बात अदालत द्वारा कही गई है। मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहाँ गया की किसी भी कीटनाशक कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का सिर्फ छह महीने का अधिकार उसके पास है। इस पर अदालत ने कहाँ की राज्य सरकार केंद्र सरकार से इस संबंध में बातचीत करे और ऐसी कंपनियों पर कठोर कार्रवाई की सिफारिश करे। इसके बाद केंद्र क्या जवाब देता है इसकी जानकारी हलफ़नामे के रूप में अदालत में जमा कराया जाए।