Published On : Thu, Jun 13th, 2019

निवेशकों के 4 करोड़ डकारे

Advertisement

गोंदिया- पतसंस्था पर जड़ा ताला, 12 डॉयरेक्टरों पर मामला दर्ज

गोंदिया: रिजर्व बैंक के नियम, कायदे, कानूनों को ताक पर रखकर गोंदिया में कई सहकारी पत संस्थाएं आर्थिक व्यवहार कर रही है। इन पत संस्थाओं द्वारा डेली डिपॉजिट के बचत खातों पर एजेंटों को भारी कमीशन दिया जाता है, ये एजेंट निवेशकों को अच्छे मुनाफे का लालच देकर विभिन्न लोक लुभावन योजनाओं में उनका पैसा लगा देते है।

Gold Rate
19 April 2025
Gold 24 KT 95,800 /-
Gold 22 KT 89,100 /-
Silver / Kg - 96,300 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

निवेशकों का भरोसा जीतने के बाद कुछ पत संस्थाएं उनकी जमा गाढ़ी कमाई को डूबो देती है।

गोंदिया के श्री टॉकिज चौक स्थित एक चेम्बर में चल रही गोंदिया नागरी सहकारी पतसंस्था मर्या. गोंदिया (रजि.नं. 723) पर ताला लग चुका है तथा इस पत संस्था के 12 डॉयरेक्टरों पर निवेशकों का 4 करोड़ रूपया डूबाने तथा उनके साथ धोखाधड़ी किए जाने का मामला 12 जून को फिर्यादी विशेष लेखा परिक्षक द्वारा दर्ज कराया गया है।

दर्ज रिपोर्ट में कहा गया है कि, इस संस्था के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संचालक, सचिव, व्यवस्थापिका आदि ने संस्था के दस्तावेजी रिकार्ड में फर्जी इन्ट्रियां दर्शाते षड़यंत्र रचा और वर्ष 2012 से 2016 तक किए विशेष ऑडिट पश्‍चात 3 करोड़ 93 लाख 41 हजार 085 रू. का आर्थिक गबन कर लिया।
विशेष लेखा अधिकारी की मानें तो वर्ष 2016-17 तथा वर्ष 2017-18 में सबसे अधिक डॉयरेक्ट गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आ रहा है, जिसका ऑडिट अभी जारी है, यह फर्जीवाड़े का आंकड़ा ओर भी बढ़ सकता है?

बहरहाल पुलिस ने 12 लोगों के खिलाफ अ.क्र. 257/19 के भादंवि 420, 465, 468, 471, 201, 406, 120 (ब) का जुर्म दर्ज किया है। प्रकरण की जांच मनोहर दाभाड़े के मार्गदर्शन में सापोनि नितीन सावंत कर रहे है।

नोटबंदी के बाद पत संस्था की असलीयत हुई उजागर
8 नवबंर 2016 को नोटबंदी के बाद इस पतसंस्था की असलीयत तब उजागर हुई जब उसने बचत खाते, एफडी (फिक्स डिपॉजिट), आरडी और किरण बचत योजना आदि में निवेश करने वाले खाताधारकों के एकाऊंट, मेच्यूरिटी होने के बाद भी निवेशकों को विड्राल देना बंद कर दिया, जिसपर संस्था के 10 एजेटों ने आवाज बुलंद की, कि पहले हमें खातेदारों का विड्राल चाहिए, डेली कलेक्शन बाद में होगी?

संस्था की ओर से कहा गया- विश्‍वास करना है तो करो, नहीं तो काम छोड़ दो? अगर काम छोड़ोंगे तो जितने भी ग्राहक तुम्हारे है वे सभी खातेदार पत संस्था को ट्रांसफर करने होंगे।? पतसंस्था खुद का आदमी रखकर कलेक्शन करेंगी और विड्राल भी देगी?, जिसपर 7 एजेंटों ने काम छोड़ दिया और ग्राहक संस्था को दिखा दिए। पत संस्था ने 1-2 माह खुद कलेक्शन किया और फिर वह भी बंद कर दिया इस बीच पुराने खाते विड्राल न होने से कुछ ग्राहकों ने एजेंटों की कॉलर पकड़नी शुरू कर दी जिसपर एजेंट एकजुट होकर ग्राहकों को साथ लेकर डीडीआर ऑफिस पहुंचे।

डीडीआर ऑफिस ने लिखित शिकायत स्वीकार करने से इंकार करते हुए प्रशासकीय अधिकारी बिठाने की बात कही तथा मजे की बात यह है कि, सिर्फ कागजों पर ही प्रशासकीय अधिकारी दर्शाया गया, इस बाबद नियमानुसार डीडीआर ऑफिस द्वारा कोई नोटिस अखबारों में जारी नहीं किया गया जिसका फायदा संस्था ने उठाया और आर्थिक व्यवहार जारी रखा और निवेशक डूबते चले गए। संस्था के 2 पुराने एजेंटों ने ग्राहकों के दस्तावेज इक्कठे कर जिला उपभोक्ता अदालत में संस्था के डॉयरेक्टरों पर केस दायर किया जिसके बाद स्पेशल ऑडिट का जिम्मा जिला विशेष लेखा परिक्षक कार्यालय को सौंपा गया।

डॉयरेक्टरों ने दस्तावेज सौंपने में कोई भी सहयोग नहीं किया, जितना एकाउन्ट्स लेखा परिक्षक के हाथ लगा उस आधार पर जांच की गई तो कई चौकाने वाले पहेलू सामने आए। इस संस्था का ऑडिट करने वाले 4 चार्टेड एकाऊंटेड ने कोई भी पाईन्ट्स कवर नहीं किए लिहाजा अब ये 4 सीए भी जांच के दायरे में आ चुके है।

निवेशकों के पैसों पर डॉयरेक्टरों की मौज
इस संस्था में डेली डिपॉजिट का काम करने वाले एक एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देते बताया, प्रतिदिन ढ़ाई से 3 लाख रूपये डेली कलेक्शन एजेंटों द्वारा संस्था ऑफिस में जमा किया जाता था। रिजर्व बैंक का कायदा कहता है, कुछ मामूली रक्कम ही संस्था अपने पास रख सकती है तथा शेष रकम उसे प्रतिदिन राष्ट्रीयकृत बैंक में जमा करनी जरूरी होती है लेकिन इस संस्था के डॉयरेक्टरों ने रिजर्व बैंक के नियमों का खुला उल्लंघन करते हुए निवेशकों का पैसा निजी प्रापर्टी की खरीदी में झोंक दिया और नोटबंदी के बाद प्रापर्टी औंधे मुंह आ गिरी। इतना ही नहीं इस संस्था के लोन रिकवरी ऑफिसर और स्वंयभू अध्यक्ष ने निवेशकों का पैसा बाजार में मोटे ब्याज दर पर चलाया और मरारटोली इलाके में एक क्लब भी खोला गया। इस तरह निवेशकों के पैसे को गलत तरीके से उड़ाते हुए उनकी गाढ़ी कमाई डूबो दी गई।

 

 

 

 

 

रवि आर्य

Advertisement
Advertisement