नागपुर: जिला परिषद की ओर से कुछ दिन पहले स्कूलों को डिजिटल करने के उपक्रम को लेकर बैठके ली गई थी. इस बैठक में शिक्षा उपसंचालक, जिला शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक अधिकारी, केंद्र प्रमुख मौजूद थे. लेकिन इस बैठक में एक भी ग्रामसेवक मौजूद नहीं था. प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिम्मेदारी दिए जाने के कारण ग्रामसेवकों की ओर से भी सहयोग नहीं मिला था. इस पर उपाययोजना के तौर पर स्कूलों ने लोकसहभाग से स्कूलों को डिजिटल बनाने का निर्णय लिया, परिणाम स्वरूप आज 623 स्कूलें डिजिटल बन सकीं.
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले एक वर्ष में लोकसहभाग से जिले में 170 सरकारी स्कूलों का डिजिटिलाइजेशन हुआ है. इन स्कूलों में स्मार्ट टीवी, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर लगाए गए हैं. तो वहीं 417 स्कूलों को स्मार्ट फोन और स्मार्ट टीवी के द्वारा डिजिटल बनाया गया है.
पहले रोटरी क्लब की ओर से स्कूलों का डिजिटलाइजेशन का कार्य किया जाना था. लेकिन उसमे अड़चनें आने की वजह से वह करार संभव नहीं हो पाया था. दरअसल पिछले वर्ष शिक्षा विभाग ने रोटरी क्लब को स्कूल डिजिटल करने की जिम्मेदारी सौपी थी. इसके लिए जिले के 345 स्कूलों को लोकसहभाग के जरिए से बारह हजार रुपए इकट्ठा कर रोटरी क्लब को यह निधि दू गई थी.
इस करार में स्कूलों में स्मार्ट लर्निंग प्रोजेक्टर लगवाना और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराने का प्रस्ताव था. इसके लिए स्कूलों द्वार रोटरी क्लब को 12 हजार रुपए दिए जाने थे. रोटरी क्लब को कुल 36 हजार रुपए के उपकरण स्कूलों में लगवाकर देने थे. इसके लिए शहरी और ग्रामीण भाग के मुख्याध्यापक और शिक्षकों की ओर से घर घर जाकर निधि इकट्ठा किया गया. लेकिन रोटरी क्लब के प्रतिनिधियों ने निधि देने के विषय में उदासीनता दिखाई. जिसके कारण यह करार टूट गया था.