नागपुर: नागपुर यूनिवर्सिटी द्वारा ‘कमाओ और पढ़ो’ योजना के तहत करीब 195 विद्यार्थियों के आवेदन नागपुर यूनिवर्सिटी के पास आए थे. जिसमें से केवल अब तक 105 विद्यार्थियों को ही इस योजना के तहत काम मिल पाया है. जिसके कारण 90 विद्यार्थी अब भी काम की प्रतीक्षा में है. इस बार इनके काम की बात करें तो अक्टूबर महीने से इन्हें काम पर रखा गया था. इस योजना के तहत काम करनेवाले विद्यार्थियों को यूनिवर्सिटी विभाग में रोजाना 3 घंटे काम करना पड़ता है. जिसके लिए उन्हें 150 रुपए रोजाना के हिसाब से वेतन दिया जाता है.
इस योजना में आर्थिक रूप से कमजोर और नागपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करनेवाले विद्यार्थियों को ही इसमें शामिल किया जाता है. विद्यार्थियों को उम्मीद थी कि नागपुर यूनिवर्सिटी इस वर्ष सभी 195 विद्यार्थियों को काम देगी. लेकिन नागपुर यूनिवर्सिटी का कहना है कि विभागों की जरूरत के हिसाब से ही प्रक्रिया की जाती है. यही वजह है कि इस बार विद्यार्थियों को कम काम दिया गया है. इस बार अक्टूबर महीने में इस योजना के तहत विद्यार्थियों को काम दिया गया और मार्च या अप्रैल महीने तक यानी सत्र समाप्ति पर काम बंद हो जाता है. जिसके कारण यह योजना भी विद्यार्थियों को 6 से 7 महीने ही काम देती है.
इस योजना में शामिल नहीं होने वाले विद्यार्थियों का कहना है कि नागपुर यूनिवर्सिटी के पास लाखों रुपए खर्च कर सुरक्षा बल रखने के लिए तो निधि है, लेकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करके काम करनेवाले विद्यार्थियों के लिए पैसे नहीं है. विद्यार्थियों की मांग थी कि पुणे की तर्ज पर ही जितने भी आवदेन आए उन्हें काम दिया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. इस योजना के तहत तीन चरणों में यह 105 विद्यार्थियों का चयन किया गया.
इस बारे में नागपुर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी विकास विभाग के संचालक दिलीप कवडकर का कहना है कि पिछले वर्ष ” कमाओ और पढ़ो ” योजना में 102 विद्यार्थी काम कर रहे थे, इस बार 105 विद्यार्थियों को लिया गया है. 90 विद्यार्थी अब भी वेटिंग पर हैं. कवड़कर ने कहा कि अगर विभागों की ओर से मांग आती है, तो उसके हिसाब से और 4 या 5 विद्यार्थियों को ही काम पर लिया जाएगा.