अकोला। पश्चिम विदर्भ के किसानों ने जून माह में हुई बारिश को देखते हुए 81 प्रतिशत क्षेत्रों में बुआई की थी. लेकिन 25 दिनों से बारिश नदारद होने के कारण फसल सूख गई थी. जिससे खेतों में लगाई गई लागत को मिलने के लिए किसानों के पास फसल बीमा योजना अंतिम विकल्प शेख रह गया है. खेतों में बुआई करना किसी लगंडे घोडे पर जुआ खेलने जैसा है. रब्बी के मौसम में प्राकृतिक विपत्ति ने किसानों की आर्थिक रूप से कमर तोड दी थी. किसी तरह किसानों ने कर्ज लेकखरीफ हंगामे में बुआई की थी किंतु बारिश न होने के कारण किसानों की फसल पूरी तरह से सूख गई है.
कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जून माह में हुई बारिश को देखते हुए 81 प्रतिशत किसानों ने अपने खेतों में बुआई की थी. लेकिन बारिश न होने के कारण किसानों की फसल पूरी तरह से सुख गई है. पश्चिम विदर्भ के आत्महत्या ग्रस्त 5 जिलों में फसल बीमा योजना के अंतर्गत 421 करोड 9 लाख रूपए नुकसान भरपाई के तहत मंजूर किए गए है. जिसमें मौसम पर आधारित फसल बीमा योजना के 76.40 करोड रूपए प्राप्त हुए है. लेकिन उक्त राशि मिलने में होने वाली देरी के कसार किसान काफी परेशान हो गए है. राज्य में बारिश गायब होने के कारण विदर्भ के अकोला वाशिम, बुलडाणा, यवतमाळ, अमरावती से बारिश पुरी तरह से गायब होकर सूर्य देवता आंखे तरेर रहे है. अमरावती संभाग में 120 प्रतिशत बारिश का पंजीयन होने के बावजूद बरसे पानी में जोर नहीं था. जिससे किसान अब जोरदार बारिश की राह तक रहे है. आगामी दिनों में वरूण देव अपना गुस्सा त्यागकर जमकर बरसेगे ऐसी उम्मीद किसानों ने लगा रखी है.
मौसम विभाग के अनुसार बदली के साथ आंशिक बारिश होने की, संभावना व्यक्त करने के पश्चात किसानों के माथे पर चिंता की लकीर बढ गई है. 13 जुलाई तक अमरावती संभाग में 24 लाख हेक्टेयर पर बआई पूरी हो गई है. बारिश की दगाबाजी के चलते किसानों के पास अब फसल बीमा योजना के अलावा किसी प्रकार का विकल्प बचा नहीं है. राष्टीय फसल बीमा योजना में शामिल होने के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई है. 2014-15 के खरीफ हंगाम में किसानों द्वारा निकाले गए फसल बीमा योजना के तहत विदर्भ के 5 जिलो के लिए 421 करोड, 9 लाख रूपए नुकसान बरपाई के रूप में मिलेंगे. अकोला जिले को 109 करोड 27 लाख, बुलढाणा 91 करोड, वाशिम 57 करोड 99 लाख यवतमाळ 78 लाख रूपए दिए गए.
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