Published On : Sat, Feb 29th, 2020

मुखबिरों के सहारे मूंढ़े का कहर जारी

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एक माह में सत्तापक्ष के संग विपक्ष भी घायल,खुद को बचाने के लिए अधिकारी वर्ग आयुक्त के मौखिक आदेश का पालन कर रहे

मनपा आयुक्त तुकाराम मूंढ़े ने मनपा में कदम रखते ही कुछ मुखबीर तैयार किए.इनके सुचना के आधार पर और जिस उद्देश्य से सरकार ने इन्हें नागपुर मनपा में तैनात किए अर्थात सत्तापक्ष को परेशान करने में शत-प्रतिशत सफल रहे.मूंढ़े की कहर से मनपा में विपक्षी दल कांग्रेस,एनसीपी,सेना,बसपा भी पिस रही.

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याद रहे कि जनवरी २८ को मूंढ़े ने सरकार के दबाव में नागपुर मनपा का कार्यभार संभाला।कार्यभार संभालते ही इन्होंने सर्वप्रथम मुंबई और आसपास के चर्चित मीडिया को अपने आगोश में लिया,ताकि मनपा में सत्तापक्ष पर उनके द्वारा किये जा रहे कहर को मुंबई,दिल्ली के जनप्रतिनिधि देख सके और इनका महाराष्ट्र में ‘टीआरपी’ बढ़े.इसके लिए इन्होंने ३ प्रमुख मुखबीर तैयार किए.इनमें स्मार्ट सिटी के २ अधिकारियों और आयुक्तालय में ड्राइवर से कनिष्ठ लिपिक बनाये गए कर्मी का समावेश हैं. स्मार्ट सिटी में कार्यरत मनपा के प्रशासकीय गतिविधियों की जानकारी देता हैं तो वही दूसरा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मूंढ़े-मूंढ़े की राग अलाप लगवाता हैं और कनिष्ट लिपिक पूर्व आयुक्तों के गतिविधियों से उन्हें अवगत करवाता रहता हैं.मूंढ़े शुरुआत से ही सभी अधिकारियों में खौफ पैदा कर उन्हें मौखिक आदेश देकर सत्तापक्ष पर करारा वॉर आजतक करते रहे.घायल सत्तापक्ष भी नियम की आड़ लेकर मूंढ़े को जवाब दे रहे.इस चक्कर में में कांग्रेस के नगरसेवकों की काफी फज्जीयत हो रही वे न घर के रहे और न ही घाट के.

गत दिनों आमसभा में सत्तापक्ष ने आयुक्त मुंढे से पिछले १२ साल का ‘कर्री फॉरवर्ड’ का हिसाब माँगा तो आयुक्त मूंढ़े सकपका गए और जैसे तैसे एक माह का समय जवाब देने के लिए महापौर को मना लिए.सत्तापक्ष ने इसलिए उक्त जानकारी मांगी क्यूंकि मूंढ़े ने कार्यादेश हुए और न हुए कार्यादेश के काम पर रोक लगा दी.इससे खुले तौर पर सत्तापक्ष तो मुख पर लगाम लगाए विपक्ष सकते में आ गए.तब मौके के नज़ाकत को देखते हुए महापौर ने मूंढ़े के आदेश पर रोक लगाते हुए जिनके वर्कऑर्डर हो चुके,वैसे कामों को शुरू करने के आदेश दिए.लेकिन इसके बावजूद मनपा के आयुक्त स्तर के अधिकारी ,कार्यकारी अभियंता,वार्ड अधिकारियों पर आयुक्त मूंढ़े का ऐसा खौफ व्याप्त हैं कि उन्होंने महापौर के आदेश का आजतक पालन नहीं किया।
इस पर सत्तापक्ष ने उक्त सभी अधिकारियों को दो टूक कह दिया,तय कर लो किसके पक्ष में रहना हैं,वर्ना नियमानुसार गाज गिरेंगी तो मत कहना ! इसका असर अगली आम/विशेष सभा में दिख सकता हैं ?

बाहरी अधिकारियों को नागपुर से मोह कैसा ?

क्यूंकि वे अल्पावधि के लिए मनपा में आते और कुछ उल्लेखनीय सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक काम कर अन्यत्र चले जाते।मूंढ़े से पहले टी. चंद्रशेखर और विरेंद्र सिंह आए लेकिन वे सरकार के इशारे पर मनपा का संचलन नहीं कर रहे थे,वे अपनी गुणवत्ता के आधार पर कार्यकाल पूरा किया और अपनी ही मर्जी से लौट गए.लेकिन मूंढ़े को राजनैतिक बदला लेने के लिए नागपुर भेजा गया जो उनके आदेश का पालन करते हुए नागपुर मनपा में कहर ढा रहे.मूंढ़े द्वारा प्रशासकीय स्तर पर सुधार की सर्वत्र सराहना की जा रही लेकिन राजनैतिक हस्तक्षेप पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी हैं.

कुछ विवादास्पद कर्मी कर रहे चापलूसी

मूंढ़े की गुणगान का क्रम जारी हैं,एक तबका सक्रिय हैं.इन्होंने एक माह बीतने पर कुछ कर्मियों से बातचीत की.ये वे कर्मी हैं जो खुद की मनपा कामगार नेता बतलाते हैं और उन्हीं का आर्थिक शोषण करते हैं.ये अपने कार्यालय में कम,मनपा मुख्यालय,मनपा के सभी बैंक,वित्त विभाग में ज्यादा दिखते हैं.ये मनपा कर्मियों को प्रत्यक्ष लोन लेने में पहले बाधा डलवाते फिर उन्हें १५ से २०% मासिक ब्याज पर पैसे देते,उसके बदले उन कर्मियों का पासबुक,कोरा चेक अपने कब्जे में कर लेते,जैसे ही बैंक में कर्ज लेने वाले कर्मियों का वेतन बैंक में जमा हो जाता,वैसे ही बैंक कर्मियों के सहयोग से मनमाफिक अपना मूल-सूद धन निकालते रहे हैं.ये कल आयुक्त मूंढ़े के एक माह बितने पर मूंढ़े की गुणगान कर रहे थे,ताकि इनकी रोटी सेकने का दौर जारी रहे.

मूंढ़े राज में समाधानकारक आय नहीं बढ़ेंगा। क्यूंकि मूंढ़े ने जिम्मेदार और दोषी अधिकारियों को संरक्षण दे रखा हैं.चाहे वार्ड अधिकारी हो या फिर अन्य।जिनकी नियुक्ति वार्ड अधिकारी पद पर हुई और सेवानिवृत्त भी इस पद पर होना था लेकिन वे उपायुक्त सह अन्य लाभ पद पर विराजमान हैं.मोरोने को ही लीजिये वे वार्ड अधिकारी हैं,इनके कार्यकाल में धरमपेठ ज़ोन में अनगिनत अवैध निर्माणकार्य हुए,ऐसे अधिकारी को मनपा ने स्मार्ट सिटी का सीईओ बना दिया।फिर मूंढ़े ने इसे एक नहीं बल्कि ३-४ विभाग का प्रमुख बना दिया। स्मार्ट सिटी का ही एक अन्य ठेका श्रमिक इन दिनों ३-३ महती जिम्मेदारी संभाल रहा,आयुक्त सह अन्य २ विभागों का.वार्ड अधिकारी वराडे विशेष शौक के लिए जाने जाते हैं,बिना अध्ययन किये आजतक ‘एस सर,एस सर’ करते इनका कामकाज चल रहा.हरीश राऊत और गणेश राठौड़ के जोन में अतिक्रमण बढ़ी और सम्पत्तिकर वसूली घटते गई,कार्रवाई भी नहीं की जा रही.तालेवार को कभी अध्ययन करते नहीं देखा गया,आज एमएमसी एक्ट के पन्ने पलटते देखा जा रहा.ऐसे अधिकारियों के सहारे मनपा की आय बढ़ना मुमकिन नहीं और न ही मूंढ़े के निर्देशों का पालन भी नहीं हो रहा.फिर भी मूंढ़े का इन अधिकारियों पर उम्मीद से ज्यादा भरोसा आश्चर्य की बात ?

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