Published On : Wed, May 6th, 2020

मिडल क्लास और अप्पर मिडल क्लास की सुध लेनेवाला कोई नहीं :संदीप अग्रवाल

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नागपूर – लॉकडाउन में मिडल क्लास की परिस्थिति के परिवार के बूरे हाल हो रहे है. मेरे हिसाब से भारत में चार प्रकार के परिवार निवास करते हैं. वे है गरीब परिवार, माध्यम वर्गीय परिवार, समान्य अमीर परिवार, जिसे हम upper मिडल क्लास कहते है और चौथे अमीर परिवार . भारत इन चार श्रेणी में बटा हुआ है. अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करे तो वहां साधारण सभी लोग खेती मजदूरी करते है और उनकी आजीविका कृषि पर निर्भर है. उन्हें कम संसाधनों में अपना जीवन जीने की आदत है. इस कोरोना महामारी से हमारा ग्रामीण क्षेत्र अभी भी बचा हुआ है और भारत के मौसम के हिसाब से अभी किसानों के आराम का समय हैं. क्योंकि रबी और खरीफ की फसल हो गई है.

इसलिए वहां की अर्थव्यवस्था संभली हुई है. वहां मौजूद परिवार अपने जीवनयापन का सामान अपने पास फसल आने पर घरों में लगने वाला अनाज सुरक्षित रख लेते है. जिससे उन्हें साल भर अनाज की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन दिक्कतें वहाँ भी है और उन क्षेत्रों में भी 4 प्रकार के लोग रहते हैं.

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आइये अब हम बात करे कोरोना महामारी की आज पूरा भारत पिछले 42 दिनों से बंद है. आमदनी के सारे रास्ते बंद है लेकिन खर्चे पूरे चालू है. अगर हम इन बातों पर नजर डाले तो सबसे ज्यादा मुसीबत में भारत के 2 वर्गों के परिवार है. लेकिन इनकी सुध लेने की किसी को कोई परवाह नहीं है. चाहे सरकार हो यह सामाजिक कार्य करने वाली संस्था कोई भी इनकी ओर नहीं देखता, गरीबो के नाम पर सरकार कई योजनाओं की घोषणा करती है, सभी क्षेत्रों में लोग लंगर, भोजन दान,व राशन किट देती है. गरीबो को मुफ्त अनाज दिया जाता है और उन्हें गरीब बोलकर सब लोग सेवा भाव में लग जाते है और वे भी सभी प्रकार की सुविधा लेने में पीछे नहीं रहते हैं. वही अमीर परिवार को इन सब चीजों से कोइ फर्क नहीं पड़ता .

क्योंकि पैसे की ताकत से वे सब कुछ खरीद सकते है. वही भारत मैं 2 ऐसी श्रेणी है जो अपनी आन बान शान बचाने की खातिर डूबती नजर आ रही है अपनी शान के कारण वे किसी के सामने हाथ नहीं फैला सकते . क्योंकि समाज में उनका अलग स्थान होता है, और वे लोग खुद का स्टेटस मेन्टेन करने मे लगे रहते हैं. अपने छोटे से धंदे और नौकरी करके जीवन जीते हैं न सरकार उनकी औऱ देखती है, समाज और सभी को लगता है कि वे बहुत सुखी है.

सामान्य अमीर और मिडल क्लास अपने साथ साथ अपने यहां काम करने वालों का भी पेट भरता है . इस महामारी का सबसे ज्यादा असर इन दो श्रेणी के लोगों को हुआ है. क्योंकि एक तरफ व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद है और दूसरी और इनके सभी प्रकार के खर्चे चालू है. इन्हे अपने घर दुकान पर काम करने वाले सभी लोगों को पगार देना है, वहीं घर के सारे ख़र्च, इलेक्ट्रिक बिल,पानी बिल, टेलीफोन बिल, बैंक के कर्ज़ के हफ्ते उसके लिए सब लागू है. अगर इनको किसी को पैसा देना है तो हाथ जोड़कर लेना है, तो सभी लॉकडाउन का बहाना बनाकर घूमते हैं.

सरकार के नियोजन औऱ घोषणा में इन लोगों के लिए कुछ नहीं है न तो वो लाइन में लग सकता है न ही अपना दुखड़ा किसी को बता सकता है. आज सबसे ज्यादा तकलीफ मैं यह लोग है. सरकार को चाहिए कि अमेरिका की तर्ज पर इनको भी राहत दे और सभी माध्यम वर्गी व upper मिडल क्लास को आर्थिक सहायता का एलान करे.

संदिप अग्रवाल
( कृषि उतपादक संघ के महासचिव )

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