Published On : Wed, May 6th, 2020

कपास उत्पादकों को भावंतर योजना (मिनिमम सपोट प्राईज) लागू करनी चाहिए

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काटोल नरखेड तालुका में, इस वर्ष कपास का उत्पादन अधिक हुआ है! मार्च अप्रेल माह में कपास को अच्छा दाम मिलता है. पर इस वर्ष अचानक कोव्हिड 19 जैसे महामारी के चलते स्थानिय जिनींग मिलों द्वारा खरेदी बंद की गयी, अब शासन द्वारा कपास खरिद के लिये मंजुरी दी गयी है. पर सरकार की उदासीन नीति के कारण, कपास उत्पादन करने वाले किसानों को उचीत दाम ना मिलने के चलते लाखों क्विंटल कपास अभी भी किसानों के घर पर है। काटोल तालुका में किसानों ने 3139 ऑनलाइन आवेदन किए हैं और नरखेड तालुका में 3030 किसानों ने ऑनलाइन आवेदन किया है।

शासन द्वारा काटोल सब डिविजन में मात्र दो केंद्र शुरू किए हैं,इन केंद्रों पर केवल प्रति दिन मात्र 20 किसानों का ही कपास गिना जा रहा है। अब किसानों के आवेदन तथा खरिद की धीमी गती के चलते किसानों ने अपना कपास नही बेचा तो आगामी खरिफ फसल के लिये लगने वाला दाम के लिये किसानों को शेठ साहूकारो के दर पर ही जाना पडेगा. यह एक गंभीर समस्या पैदा हो गयी है .

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इस पर सरकार को जल्द से जल्द इस पर निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसके लिये कपास उत्पादन करने वाले किसानों को भावांतर योजना के तहत (मिनिट सपोट प्राईज) किसानों का कपास खरीदा जाय. विगत वर्ष काटोल नरखेड तालुका में तूवर और चना उत्पादक किसानों को पुर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भावांतर योजना के तहत, किसानों को 1000 रुपये प्रति क्विंटल की सब्सिडी देने की घोषणा कि थी जिससे स्थानिय किसानों को राहत मिली थी।इसी प्रकार कपास उत्पादन करने वाले किसानों को 2000-रूपयों प्रति क्विंटल सब्सिडी देने की मांग पूर्व सभापती संदीप सरोदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की है।

इस वर्ष कपास के उत्पादन में सुधार हुआ है। लेकिन किसान के पर्याप्त कपास खरेदी के लिये शासकिय कपास खरेदी केंद्र शुरू करना था। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। कुछ केंद्र शुरू किए लेकिन उस केंद्र पर्याप्त कापास खरेदी नही की जानकारी रही । एक दिन में मात्र 20 किसानों से ही कपास खरेदी की जानकारी रही है. जब की लंबी लाईन में लगे सैकडो किसानों को वापस जाना पडता है। निजी जिनिंग मिल मालीक किसानों को 5500 रुपये की गारंटी मूल्य नहीं देते है। कपास की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा भुगतान की जाती है। राज्य सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं है। पवन महासंघ केवल कपास खरीदना चाहता है। इस ओर पुर्व सभापती ने ध्यान आकर्षित किया है।

नागपुर जिले के तिन तिन मंत्री सरकार में है. पर वे भी कपास उत्पादन करने वाले किसानों को राम भरोसे छोड दिया है. जब की स्थानिय विधायक तथा मंत्री द्वारा चुनाव पुर्व किसानों के मुद्दों पर आंदोलन कर सरकार मे आये है. पर अब किसानों के समस्याओं पर ध्यान नही दिया जा रहा यह जानकारी भी संदिप सरोदे ने दी है.

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