– ऑनलाइन शिक्षा बच्चों के सेहत के हित में नहीं
नागपुर :कोरोना वैश्विक महामारी के चलते राज्य में चर्चा चल रही है कि स्कूल कब खोली जाएं । स्कूल खोलने से क्या नुकसान होगा।
इस पर मंथन चल रहा है। नागपुर के प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ कॉम्हेड संस्था के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डॉ उदय बोधनकर ने कहा कि राज्य में कोरोना की स्थिति उसकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में राज्य की स्कूलों को 15 अगस्त के पहले नही खोला जाना चाहिए। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ से आग्रह किया है कि स्कूल खोलने की जल्दी ना करे।
डॉ बोधनकर के अनुसार सत्र के पहले भाग को स्थागीत कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना का असर बच्चों व बुजूर्गो पर जल्दी होता है। वैसे मानसून में बीमारियां अधिक बढ़ती है।ऐसे में राज्य की स्कूलों में ३ – ४ हजार बच्चे एक समय में स्कूल में आते है। वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना व करवाना दोनों ही कार्य कठिन है। स्कूलों के लिए भी इसे मैनेज करना कठिन है।
स्कूल में बच्चे वैन, स्कूल बस, ऑटो रिक्शा से आते है। यह भी बच्चो के द्वारा सोशल डिस्टेंस रखना कठिन है । हर वाहन में क्षमता से ज्यादा बच्चे होते है। बच्चो को स्कूल छोड़ने की भी समस्या पालकों के सामने है। हमारी छोटी सी भूल भी बच्चो का बड़ा नुकसान कर जाएगी।
उन्होंने कहा कि पहली से ८वी तक की क्लास को वैसे भी छुट्टी दे देनी चाहिए। यदि ऑनलाइन क्लास शुरू करनी है तो १०वी से उप्पर कि कक्षा के लिए होनी चाहिए। वह भी मोबाइल पर न करते हुए टीवी चैनल पर करनी चाहिए। ताकि बच्चो को मोबाइल से दूर रखा जाना चाहिए।
हम खुद बच्चो को मोबाइल से दूर रखने की सलाह बच्चों के पालकों को देते हैं। मोबाइल का उपयोग बच्चों के लिए हानिकारक है
यद्यपि मनपा वह जिला परिषद के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पास मोबाइल नहीं होता है , लेकिन संभवत टीवी सभी के घर में उपलब्ध है । ऐसे में राज्य के एक चैनल पर नियमित रूप से 2 घंटे की पढ़ाई टीवी के माध्यम से दी जानी चाहिए। इसमें भी बच्चों के माता-पिता की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
सरकार यह भी सुनिश्चित करें कि उनका बेटा या उनकी बेटी घर पर क्या पढ़ रही है। टीवी पर पढ़ाई का यह कार्य ऐसे समय होना चाहिए जब बच्चो के माता-पिता भी घर पर उपलब्ध हो। यह देखा गया है कि माता-पिता दोनों ही सर्विस पर होने की वजह से घर से बाहर रहते हैं। ऐसे में बच्चा क्या कर रहा है इस पर ध्यान नहीं होता है।
इस कारण टीवी पर पढ़ाई के प्रसारण का समय शाम या सुबह होना चाहिए। साथ ही माता-पिता को चाहिए कि बच्चा घर पर रहकर खेलें, घर के लोगों से परिवार से संवाद स्थापित करें वह पढ़ाई के साथ साथ मनोरंजन भी करें इसके साथ ही योग को अपने जीवन का अभिन्न अंग बना लेना चाहिए।
स्कूल खोलने के संबंध में उन्होंने कहा कि इस समय स्कूलों में वैसे भी गर्मी की छुट्टियों का समय है, इसलिए स्कूल प्रशासन भी स्कूल को खोलने की जल्दी ना करें। क्योंकि हर स्कूल में 5 से 6 हजार बच्चे पढ़ते हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग रखना संभव नहीं है ।
स्कूलों में यदि आधे वर्ष का अभ्यासक्रम रद्द कर भी दिया जाए तो विशेष फर्क नहीं पड़ता है । वैसे भी हमारी १ ली से १० वी तक की शिक्षा परिस्थितियों को लेकर मेल नहीं खाती है। उसमे बदलाव व स्किल आधारित शिक्षा होनी चाहिए। बच्चों को दिवाली के पश्चात ही स्कूलों में बुलाया जाना चाहिए। ताकि पालकगन निश्चिंत होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज सकेंगे।
स्कूलों को भी अधिक व्यवस्था नहीं करनी पड़ेगी। फीस के संबंध मे डॉ बोधनकर ने स्कूल प्रशासन से भी अनुरोध किया है कि स्कूल फीस 2 माह की रियायत दी जानी चाहिए। पालको पर फीस हेतु दबाव न डाले।
ऑनलाइन शिक्षा की व्यवस्था सभी के लिए योग्य नहीं है, क्योंकि इसमें तकनीक व डाटा पैक हर छात्र के पास उपलब्ध होगा ऐसा नहीं है। दूसरा इससे नुकसान भी है । हम बच्चों को मोबाइल से दूर रखने की शिक्षा देते हैं और अब शिक्षा के लिए ही बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा रहे हैं । यह कहां तक उचित होगा।