Published On : Thu, Jun 4th, 2020

हिंगना के कपास खरेदी केंद्र में किसानों को बेचने के लिए करना पड़ता है महीनों इन्तजार

वानाडोंगरी– कोरोना महामारी के इस भीषण संकट के कारण पूरा देश परेशान हो चूका है. सभी जगहों पर आर्थिक संकट के चलते हमेशा संकट में रहनेवाला किसान भी अपना कपास नही बेच पाने के कारण संकट में आ चूका है. सफ़ेद सोना घरों में भरा होने के बावजूद प्रशासन की गैरजिम्मेदारी के कारण कपास किसान नहीं बेच पा रहा है व् बुवाई शुरू होने पर भी उसका कपास घरों में है और उसे साहूकारों के घरों के चक्कर लगाने की परिस्थिति निर्माण हो गई है.

हिंगना के वाणाडोंगरी केंद्र पर एक दिन में केवल 15 से 29 किसानों का ही कपास ख़रीदा जा रहा है. एक महीने पहले नंबर लगाने के बाद भी किसानो का नंबर नहीं लगा है. देवळीपेंढरी स्थित किसान का रजिस्ट्रेशन नंबर 2676 है. उसके कपास की माप एक महीने के बाद होगी. तब तक मॉनसून पूरी तरह से शुरू हो जाएगा. इधर किसानो को समस्या यह है की पैसे नहीं होने पर बीज कैसे बोये. यह सवाल देवळीपेंढरी के किसान मधुकर तेलंग कर रहे है.

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कपास खरेदी केंद्र देर से शुरू होने के कारण और गर्मी में लॉकडाउन के चलते किसानों का कपास नहीं लिया गया. अब खरेदी शुरू की गई है. लेकिन नंबर लगाने के बावजूद एक महीने के बाद भी किसानों का नंबर नहीं आने के कारण अब किसान आर्थिक संकट में फंस चूका है. लॉकडाउन के कारण हाथ में काम नहीं, कपास को भाव नहीं , इसपर भी घर के खर्च चलाने के लिए किसानों को व्यपारियों को कपास बेचना पड़ रहा है. मॉनसून शुरू होने के कारण बुवाई का काम शुरू हो चूका है. बीज लेने के लिए पैसे नहीं है और घरों में कपास होने के बावजूद उन्हें साहूकारों के घरों में जाना पड़ रहा है. सभी जगहों पर आर्थिक परेशानी होने के कारण दुकानदार भी बीज उधारी में देने के लिए तैयार नहीं है.

तो वही चार से पांच दिनों से हिंगना का खरेदी केंद्र बंद रखा गया है. देवळीपेंढरी स्थित किसान मधुकर तेलंग के घर में 25 क्विंटल कपास है. एक महीना हो चूका है नंबर लगाए. हालही की परिस्थति देखकर और एक महीना लग सकता है. ऐसे समय किसान क्या करे, कैसे जिये, बुवाई कैसे करे, ऐसे अनेको प्रश्न किसानों के मन में उठ रहे है. किसानों की मांग है की किसानों को कपास कही भी बेचनी की अनुमति दी जाए. कपास बिक्री के लिए जिलाबन्दी खोली जाए, अन्यथा किसान आत्महत्या करेंगे.

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