Published On : Sat, Jun 13th, 2020

नए नक्शे के लिए नेपाल की संसद में लाया गया बिल पारित हुआ, विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा

Advertisement

काठमांडू. नेपाल की संसद में कुछ भारतीय क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताने की कोशिश तेज हो गई है। नेपाली संसद में देश के नए नक्शे को मंजूरी दिलाने के लिए संवैधानिक संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। विधेयक नेपाल की न्याय मंत्री डॉ शिवमाया तुम्बाड ने पेश किया। नेपाली संसद के अध्यक्ष ने इस पर वोटिंग कराई सभी सांसदों ने ध्वनिमत से इसका समर्थन किया। एक भी सांसद ने इस संशोधन के खिलाफ वोटिंग नहीं की।

नए नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। इसे पिछले महीने नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने जारी किया था। भारत ने इस पर आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था- यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।

Gold Rate
16April 2025
Gold 24 KT 95,000/-
Gold 22 KT 88,400/-
Silver / Kg - 96,200/-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

18 मई को नेपाल ने जारी किया था नया नक्शा
भारत ने लिपुलेख से धारचूला तक सड़क बनाई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इसका उद्घाटन किया था, इसके बाद ही नेपाल की सरकार ने विरोध जताते हुए 18 मई को नया नक्शा जारी किया था। इसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में बताया। 22 मई को संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव भी दिया था। भारत ने नेपाल के सभी दावों को खारिज किया है। हाल ही में भारत के सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने कहा था कि नेपाल ने ऐसा किसी और (चीन) के कहने पर किया।

कब से और क्यों है विवाद?
नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद सुगौली समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसमें काली नदी को भारत और नेपाल की पश्चिमी सीमा के तौर पर दर्शाया गया है। इसी के आधार पर नेपाल लिपुलेख और अन्य तीन क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में होने का दावा करता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। दोनों देशों के पास अपने-अपने नक्शे हैं।

Advertisement
Advertisement