भंडारा कारागृह से 45 दिनों के अंतरिम जमानत पर छूटे
गोंदिया । सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना काल के मद्देनजर कहा- यह सुनिश्चित करना सबका कर्तव्य है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जेलों में स्वास्थ्य सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए जाएं।
कैदियों की संख्या को कम करने के लिए सर्वोच्च अदालत ने राज्यों से उन कैदियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने के लिए विचार करने को कहा -जो अधिकतम 7 साल की सजा काट रहे हैं , इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एक पैनल गठित करने और कैदियों से संबंधित निर्णय लेने का निर्देश दिया।
लिहाजा सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली के आदेशानुसार व उच्च न्यायालय के उच्च अधिकारी समिति के फैसले के अनुसार कोरोना के चलते जेल में भीड़ कम करने के मद्देनजर भंडारा कारागृह में बंद गोंदिया जिले के 46 कैदियों को 45 दिन की अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
गोंदिया मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश सुहास माने और जिला विधी सेवा प्राधिकरण के सचिव एम.बी दुधे के मार्गदर्शन में 46 अदालती अभियुक्तों को डेढ़ माह की अंतरिम जमानत दी गई है।
171 अभियुक्तों ने दायर की है जमानत की याचिकाएं
गौरतलब है कि राज्य की सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद होने से जेलों में भीड़ भाड़ है इससे सामाजिक अंतर ( सोशल डिस्टेंसिंग ) के उपाय योजना को संभालना मुश्किल हो जाता है
और कोरोना संक्रमण फैलने का बड़ा डर भी था इसलिए शीर्ष सर्वोच्च अदालत के आदेशानुसार गंभीर अपराधों को छोड़कर सभी अभियुक्तों को अस्थाई जमानत प्रदान करने के लिए एक समिति समिति गठित करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था
इसके अनुसार जिला विधी सेवा प्राधिकरण गोंदिया में लगभग 171 अभियुक्तों की जमानत याचिका दायर की गई है और उन्हें गोंदिया के संबंधित अदालत में दायर किया गया है इनमें 46 कैदियों को अस्थाई जमानत पर रिहा किया गया है साथ ही पुलिस अधीक्षक गोंदिया को निर्देश दिया गया है कि वे कैदियों के मुफ्त भोजन और परिवहन की व्यवस्था करें।
रवि आर्य