उमरेड ‘एसडीओ’ सह अन्य दिग्गज अधिकारी कर रहे जाँच में सहयोग
नागपुर : उमरेड तहसील अंतर्गत मौजा पीटीचुवा वर्ग-२ में शामिल सरकारी भूखंड की अवैध रूप से खरीदी-बिक्री का मामला नागपुर के जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे के ध्यान में इस वर्ष के पहले माह के अंतिम सप्ताह में लाया गया.इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ठाकरे ने उमरेड के उप विभागीय अधिकारी (एसडीओ) को जाँच का निर्देश दिया।उक्त जानकारी जिलाधिकारी ठाकरे ने दी लेकिन इसके कोविड-19 के कारण यह जाँच शुरू नहीं हो पाई थी.पिछले सप्ताह के अंतिम दिन उक्त मामले की जाँच शुरू हुई.
इस जाँच में उमरेड उपविभागीय अधिकारी सह जिलाधिकार्यालय के सम्बंधित अन्य बड़े अधिकारी सक्रिय हुए.जिलाधिकारी के अनुसार सप्ताह भर में उक्त मामले की जाँच पूर्ण कर ली जाएँगी फिर इस सन्दर्भ में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
याद रहे कि जनवरी 2020 में जिलाधिकारी रविंद्र ठाकरे का उमरेड तहसील अंतर्गत मौजा पीटीचुवा वर्ग-२ में शामिल सरकारी भूखंड की अवैध रूप से खरीदी-बिक्री का मामला के सन्दर्भ में ध्यानाकर्षण करवाया गया और उच्च स्तरीय उच्च स्तरीय जाँच करने मांग की गई.
जिलाधिकारी ठाकरे ने भी तत्काल गंभीरता दिखाते हुए निष्पक्ष जाँच करने का आश्वासन दिया।जिलाधिकारी ठाकरे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ठाकरे ने उमरेड के उप विभागीय अधिकारी ( एसडीओ ) को जाँच का निर्देश दिया थे लेकिन कोविड-19 ने जिले को जकड़ने से पहले उसे दूर करने में सम्पूर्ण जिला प्रशासन सक्रिय हो गया,इससे जाँच शुरू ही नहीं हो पाई थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मौजा पीटीचुवा के खसरा क्रमांक ६,८,१२, ३१,३२,३३ ,३५,३६,३९ ,४२,४२,४४,३ ८,४३,४५,४८,४६,६३,४६,४७,४९,७९, ६४, ६५ ,६६, ७४, ८२ ,८९, ९३ ,८४ /१,८४/२,८४/३,८४/४,८७,९४,१०८,११२,११३,१५५,११६,१२१,व १२९ के भूखंड की खरीदी-बिक्री में उमरेड तहसील के सम्बंधित पटवारी द्वारा बगैर जाँच के ७/१२ पर मेसर्स एम.के. हाउस रियल एस्टेट के माणिकराव दयारामजी वैद्य के नाम पर चढ़ाया गया.दूसरी ओर कार्यालयीन रिकॉर्ड से इस बाबत खरीदी-बिक्री के दस्तावेज जानबूझकर गायब कर दिया गया हैं.तहसील उमरेड द्वारा पारित आदेश दिनांक १२-१२-२००८ के बाद भी उक्त भूखंडों की खरीदी-बिक्री मेसर्स एम.के. हाउस रियल एस्टेट (माणिकरावदयाराम वैद्य की मृत्यु बाद) के जिम्मेदार प्रतिनिधि द्वारा आज भी हैं जो कि पूर्णतः अवैध व सरकारी आदेश की पूर्ण अवमानना दर्शित करती हैं.
उक्त मामले की उच्च अधिकारी मार्फ़त सूक्ष्म जाँच कर संबंधितों पर कानून में प्रावधान सजा/जुर्माना कर प्रभावितों को न्याय देने की विनंती की गई.इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी ठाकरे को अधिवक्ता पत्र,निवासी उपजिलाधिकारी को तहसीलदार,उमरेड द्वारा लिखा गया पत्र,रेवेन्यू अपील क्रमांक ४७/आरटीएस/५९/२०१२,राजस्व अपीलक्रमांक १४/आरटीएस-५९/२००९-१० में दिनांक ३०-११-२०११ को पारित आदेश ,राजस्व अपील क्रमांक १४/आरटीएस-५९/२००८-९ में तहसीलदार,उमरेड द्वारा दिनांक १२-१२-२००८ को पारित आदेश की प्रत दी गई.
अब देखना यह हैं कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले को लेकर कितनी पारदर्शिता के साथ उक्त मामले जाँच पूर्ण करते हैं.