Published On : Fri, Aug 7th, 2020

मेरे पिता की मृत्यु नहीं, मेडिकल हॉस्पिटल के लापरवाह डॉक्टर्स के हाथों हत्या हुई है

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बेटे ने लगाया गंभीर आरोप

नागपुर – सरकार कोरोना (Covid-19) की जागरूकता, कोरोना से मृत्यु की दर में कमी, सरकारी हॉस्पिटलो में स्वास्थ्य सुविधाएं , अत्याधुनिक मशीनें इसकी कितनी भी तारीफ कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत इससे काफी अलग है, रोजाना मेडिकल और मेयो हॉस्पिटल में नागपुर शहर से और आसपास के छोटे शहरों से सैकड़ो कोरोना (Corona) के मरीज यहां आ रहे, इसमें से कुछ ठीक हो रहे तो कई मरीजों की मौत भी हो रही है. कुछ स्वास्थ उपकरणों के अभाव में या तो फिर कुछ डॉक्टरों की लापरवाही से भी दम तोड़ रहे है. 2 दिन पहले एक 25 साल की लड़की की मौत कोरोना से हुई थी, इसके बाद मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया था कि वेंटिलेटर (Ventilator) के खराब होने से उनकी बेटी की मौत हुई थी,

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ऐसे ही एक दूसरे मामले में पिछले महीने हुई एक 63 साल के व्यक्ति की मौत भी डॉक्टरों की लापरवाही से होने का आरोप उनके बेटे ने लगाया है. कामठी में रहनेवाले शाहिद खान ने मेडिकल हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर में बने कोविड सेंटर (Covid Centre) के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है और जिम्मेदार डॉक्टर पर कार्रवाई की मांग की है.

कामठी के कलमना रोड के बी.बी.कॉलोनी में रहनेवाले शाहिद खान की जानकारी के अनुसार पिछले महीने 19 जुलाई की सुबह उनके पिता अब्दुल वाहिद खान जिनकी उम्र 63 वर्ष थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने की वजह से उन्हें कामठी के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया गया था.

हॉस्पिटल में तुरंत उनकी ई.सी.जी जाँच करने के बाद डॉक्टर ने तुरंत नागपुर के मेयो या मेडिकल हॉस्पिटल ले जाने की सलाह दी. मेडिकल हॉस्पिटल पंहुचने पर तुरंत उनका ओ.पी.डी में चेकअप किया गया और कोरोना जाँच के लिए कहा गया, जो कि परिजनों ने एक दिन पहले ही निजी लैब में करवा ली थी, क्योकि मरीज को एक दो दिन से खांसी की तकलीफ थी.

रिपोर्ट रविवार शाम को आनेवाली थी, फिर उनका एक्स-रे किया गया और निमोनिया जैसा कुछ होने के बारे में इनको जानकारी दी गई, रिपोर्ट आने से पहले कुछ कर नहीं सकते, यह कहकर डॉक्टरों ने उन्हें ट्रामा सेंटर के Covid सेंटर में शिफ्ट कराया. लेकिन उनके पिता का डॉक्टरों की ओर से प्राथमिक उपचार तक नहीं किया गया. Covid सेंटर में जाने के बाद वहां मौजूद डॉक्टरो ने भी कुछ नहीं किया. उनकी तकलीफ को नज़रंदाज़ करके रिपोर्ट आने तक रुकने की सलाह दी गई. शाम को 6.30 बजे रिपोर्ट आयी तब तक उनको कुछ भी नहीं दिया गया था, सुबह 11 बजे से लेकर शाम तक वो दर्द में तड़पते रहे, लेकिन किसी डॉक्टर ने कुछ नहीं किया. रिपोर्ट उनको देने के बाद परिवार के लोगो को हॉस्पिटल से घर चले जाने को कहा गया. अगले दिन 20 जुलाई को दोपहर 3 बजे उनकी मृत्यु होने की सुचना शाहिद को दी गई.

शाहिद ने बताया कि जब वे मेडिकल हॉस्पिटल पहुंचे तो उन्हें पता चला की उनके पिता की मृत्यु सुबह 7 बजे ही हो चुकी थी. इससे हॉस्पिटल की लापरवाही साफ दिखती है, शाहिद का कहना है कि जब घरवालों के सामने शाम तक किसी डॉक्टर ने उनको हाथ तक नहीं लगाया तो उनके जाने के बाद भी कुछ नहीं किया होगा, सही समय पर इलाज न होने से उनकी मृत्यु हुई है. क्योंकि हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टर्स को पेशेंट्स की जान से ज्यादा अपनी जान प्यारी है.

शाहिद ने कहा कि वे नहीं चाहते जैसे उनके पिता की हत्या की गई ,वैसा ही किसी और के साथ हो. इसीलिए उन्होंने मनपा आयुक्त तुकाराम मुंडे से निवेदन किया है कि पेशेंट के घरवालों को बाहर से अपने मरीज को देखने का प्रबंध किया जाए या सीसीटीवी कैमरा लगाकर बाहर मरीज के परिवार को देखने दिया जाये. जिससे की लोगों का डॉक्टर को भगवान मानने का विश्वास बना रहे. उन्होंने यह भी कहा कि आज कल बहुत से ऐसे मामले सामने आ रहे है, जिसमे की हॉस्पिटल में जबरन मरीज की हत्या कर उसके अंगो की तस्करी की जा रही है. इसे रोकने के लिए जरूरी कदम उठाये जाये और मेरे पिता की मौत के लिए जिम्मेदार डॉक्टरों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए.

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