– मनपा पीडब्लूडी विभाग में सतत जारी हैं,नए आयुक्त गौर करेंगे तो विभाग के कामकाजों की गुणवत्ता बढ़ेंगी और विश्वास भी
नागपुर – हकीकत यही हैं कि सीमेंट सड़क निर्माण का प्रस्ताव जब मनपा में आया तो मनपा के पंजीकृत एक भी ठेकेदारों को निर्माण का अनुभव नहीं था,फिर निर्माण में उनकी भागेदारी से साफ़ जाहिर हैं कि नियमों सह विभाग सहित अधिकारियों को ‘मोल्ड’ किया गया.नतीजा जहाँ-जहाँ सड़क बनी,वहां-वहां दिक्कतें भी बढ़ी.इन दिक्कतों के निवारण के लिए विभाग और उसके अधिकारी मूक प्रदर्शन कर रहे साथ में जिम्मेदार ठेकेदार कंपनी को बचाने में जुटे हुए हैं.इसलिए नए मनपायुक्त राधाकृष्णन बी कोरोना के साथ इस ग़ैरकृतों पर भी गौर करें और दोषी अधिकारियों पर कड़क कार्रवाई कर कामों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ विभाग की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए।
सीमेंट सड़क का ठेका हासिल करने के लिए मनपा के पंजीकृत ठेकेदार कंपनियों ने अनुभवी ठेकेदार कंपनी के साथ ‘जॉइंट वेंचर’ किए.नियमानुसार ‘जॉइंट वेंचर’ का पैन कार्ड बनाया जाता हैं.इसके बाद एक करार के तहत उनका ‘जॉइंट वेंचर’ खाता खुलता हैं। इसी खाते में काम उपरांत सभी प्रकार की जाँच पड़ताल,गुणवत्ता जाँच के बाद मनपा वित्त विभाग के मार्फ़त भुगतान किया जाता हैं.
दूसरी ओर मनपा के बाहरी कंपनी ने सीमेंट सड़क के ठेके प्राप्ति के लिए शहर के सफेदपोशों का आधार लिया और बिना पुख्ता अनुभव के ठेका हासिल किया,यह भी जांच का विषय हैं.
लेकिन सीमेंट सड़क फेज-२ में पाया गया कि मनपा में मनपा के पंजीकृत ठेकेदार कंपनी ने ऐसा कुछ नहीं किया।’जॉइंट वेंचर’ के तहत काम जरूर प्राप्त किया लेकिन भुगतान खुद के कंपनी के खाते में करवाया गया.
इसकी तहकीकात शुरू होते ही सम्बंधित उपअभियंता सह सम्पूर्ण विभाग गुप्तता बरतने लगा.अर्थात ‘दाल में काला हैं’,वर्ना आरटीआई कार्यकर्ता को पुरे एक माह चक्कर लगाने के बाद जानकारी नहीं देने का अर्थ क्या समझा जाए.उलट यह कहना कि शिकायत हेतु जहाँ जाना हैं जाए,इसका भी यह अर्थ हैं कि किसी न किसी सफेदपोश या मनपा के आला अधिकारी की इस मामले में मिलीभगत हैं.
मनपा लोककर्म विभाग से सम्बंधित उक्त प्रकार की हेराफेरी की घटना आम हैं.जिसने कमीशन नहीं दिया उसका फाइल मनपा प्रयोगशाला में चला जाता हैं ताकि दबाव बने,नहीं तो समझौता करने वाली कंपनियों के फाइल सीधे भुगतान के लिए वित्त विभाग भेजे जाते हैं.जबकि लोककर्म विभाग द्वारा सभी कामों का चरणबद्ध जाँच होना चाहिए फिर काम पूरा होने बाद मनपा प्रयोगशाला द्वारा गुणवत्ता की जाँच हो,इसके बाद ‘कंप्लीशन प्रमाणपत्र’ देने के बाद वित्त विभाग भुगतान करें लेकिन ऐसा नहीं होता,ऐसा करने से लोककर्म विभाग की हिस्सेदारी अर्थात कमीशन मारी जाएंगी।
नए मनपायुक्त से गुजारिश हैं कि सर्वप्रथम इस विभाग के कामकाजों की जाँच सह समीक्षा हो और विभाग में वर्षो से तैनात मनपा व शहर हित में न व्यव्हार करने वाले सभी अधिकारी कर्मियों का अन्यत्र विभाग में तबदला करें अन्यथा उक्त ग़ैरकृत जारी रहेगा और मनपा राजश्व को चुना लगता रहेगा।