रंगोली के माध्यम से पक्षी बचाओ- प्रकृति बचाओ का संदेश
गोंदिया: मकर संक्रांति त्योहार के पार्श्वभूमी पर आकाश में पतंग उड़ाने की परंपराएं हैं ,इस दौरान शहर में पतंगबाजी का क्रेज बढ़ने लगता है।
इस पतंग उड़ाने के लिए उपयोग किए जाने वाला प्रतिबंधित सिंथेटिक मांजा छुपे रूप में उपयोग किया जा रहा है जिस वजह से पक्षियों , पशुओं समेत इंसानों की जान को भी खतरा निर्माण हो रहा है।
वन्य जीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाओं की रिपोर्ट के मुताबिक पतंग के साथ टूटा हुआ मांजा तथा सिंथेटिक धागे के टुकड़े जमीन पर गिरते हैं इस दौरान नायलॉन मांजा गर्दन पर अटने से सैकड़ों परिंदे घायल हो जाते हैं तथा जिले में हर वर्ष 200 से अधिक पक्षियों की मौत होती है।
लिहाजा इस मांजा के इस्तेमाल के खिलाफ व्यापक जन जागृति जरूरी है।
नायलॉन मांजा से पक्षियों का जीवन खतरे में
रंगोली और पेंटिंग के माध्यम से कई सामाजिक और पर्यावरण संबंधी संदेश दिए जाते हैं। रंगों की कलाकारी के सहारे पक्षी बचाओ- प्रकृति बचाओ का संदेश गोंदिया की प्रसिद्ध रंगोली चित्रकार सोनी भावना फुलसुंगे ने देते हुए नायलॉन मांजा जैसे मुद्दे पर रंगोली के माध्यम से कलाकृति ऊकेरी है जिसे खूब सराहा जा रहा है।
अपनी रंगोली के माध्यम से उन्होंने दर्शाया है कि नायलॉन मांजा इंसानी जिंदगियों के साथ पक्षियों पशुओं के जीवन के लिए भी खतरा हैं , हम प्रकृति संरक्षण को संतुलित करना चाहते हैं तो पक्षियों का जीवन बचाना जरूरी है।
लिहाजा इन बेजुबान प्राणियों को बचाने के लिए पक्षी बचाओ- प्रकृति बचाओ ( सेव बर्ड- सेव नेचर- सेव पीपल ) अभियान शुरू किया जाना चाहिए यही सामाजिक संदेश रंगोली के माध्यम से चित्रकार सोनी भावना फुलसुंगे ने दिया है।
विशेष उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी इस छात्रा ने रंगों के माध्यम से बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ , कन्या भ्रूण संरक्षण, वर्षा जल संग्रहण , स्वच्छता प्रकृति सुंदरता जैसे विषयों पर सूक्ष्मदर्शी दृष्टिकोण के माध्यम से अनूठे चित्रण के द्वारा जीवंत संदेश प्रस्तुत किया है ,
इस बार जिले में दुर्घटनाओं का कारण बने प्रतिबंधित नायलॉन मांजा का उपयोग पतंग महोत्सव मनाते समय न किया जाए ? ऐसा अनुरोध उन्होंने अपनी रंगोली के माध्यम से किया है।
रवि आर्य