Published On : Mon, Mar 7th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

ये कौन सा मौसम है जनाब…..

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– अनचाहे बीमारियों का नहीं,गर्मी का नहीं,परीक्षाओं का नहीं तो फिर…….. उद्घाटनों का

नागपुर – पिछले 2 सालों से कोरोना ने आम जनजीवन की ऐसी कमर थोड़ी कि उसे पटरी पर लाने के लिए वर्षो संघर्ष करना पड़ेगा। इसका डर थमा ही नहीं था कि विगत 15 दिनों से शहरभर में आगामी चुनावों से सम्बंधित उद्धघाटन व सत्कार समारोह की दौर शुरू हो गया.क्या सारी आपदाएं फुर्र हो गई ?

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पिछले कुछ समय से शहर व बाजार धीमे-धीमे शुरू हुए,शहर में आवाजाही में बढ़ोतरी हुई तो बाजार आज भी ठंडा हैं,पहले की बनस्पत ग्राहकों में काफी कमी देखी जा रही.अर्थात कोरोना का असर धीरे धीरे कम होता जा रहा.लेकिन फरवरी-मार्च महीने में गर्मी सर चढ़ के बोलती हैं,इस बार गर्मी का असर भी फीका पड़ गया,जबकि स्कूल वालों ने 8 वीं तक के विद्यार्थोयों की अंतिम परीक्षा लेकर स्कूली आवाजाही से बचाने हेतु सक्रिय हैं.इसके साथ ही मार्च-अप्रैल में परीक्षाओं का मौसम रहता है,विद्यार्थी से लेकर परिजन सह उन्हें लाने-लेजाने वाले के अलावा परीक्षा लेने वाले का टेंशन एक अलग प्रकार का वातावरण तपा दिया करता था,इस बार इसकी भी तपन कम हो गई.

आखिर फिर इस दफे कौन सा मौसम चल रहा,जिसके वजह से अलग प्रकार की तपन देखी जा रही…….. तो वह यह है कि अगले 2 माह में नागपुर महानगरपालिका का चुनाव होने जा रहा है,जो घर-घर केंद्रित होने के कारण अमूमन सभी की भागीदारी रहती है,इसलिए इसकी चर्चा और गर्माहट से कोई महरूम नहीं रहता,यह अलग बात है कि कोई कम तो कोई ज्यादा सक्रीय-निष्क्रिय रहता ही हैं

क्यूंकि राज्य में सत्तधारी पक्ष नागपुर मनपा में विपक्ष में हैं,शायद इसलिए मनपा का वर्त्तमान कार्यकाल समाप्त होते ही चुनाव न लेने की साजिश रची गई ताकि मनपा में सत्ताधारियों के कामों का लाभ से लगातार चौथी बार वे पुनः सत्ता में न आ जाए.इस लिए माह-2 माह चुनाव टाला जा रहा,तब तक के लिए मनपा पर 4 मार्च से प्रशासक विराजमान कर दिया गया.

इसकी भनक माह भर पहले ही सभी राजनैतिक पार्टियों को लग चुकी थी,तब से मनपा चुनाव की आचार संहिता घोषित होने तक एक ही महोत्सव शुरू हैं ,वह हैं उद्घाटनों का…..

यह उद्घाटन/भूमिपूजन किसी विकासकार्य का हो रहा या फिर राजनैतिक पक्षों के छोटे-मोटे कार्यालयों का.जिसका उपयोग आगामी चुनाव के लिए होना हैं,जिसके उद्घाटनों में केंद्रीय और राज्य के बड़े-बड़े मंत्री हाजिरी लगा कर नैसर्गिक मौसम को फीका कर दिए हैं.क्यूंकि इस उद्घाटनों के चक्कर में लोग कोरोना,गर्मी और परीक्षाओं को भुला बैठे,जबकि पिछले सालो तक इन तीनों की गर्मी से आम जनता सह सभी दहल गए थे. अर्थात चुनावी गर्मी का इतना बोलबाला है कि शेष गर्मी फीकी पड़ जाती हैं.

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