– मार्च 2022 में मनपा का ‘रामकी एनविरो इंजीनियर्स लिमिटेड’ से संलग्न हैदराबाद की ‘सी एंड डी वेस्ट कंपनी’ के साथ हुआ था करार
नागपुर – शहर में बांधकाम सह जीर्ण इमारत से निकलने वाले मलबे से ईंट,रेती, आय ब्लॉक का निर्माण हेतु एक विशेष कंपनी के साथ करार किया गया था.लेकिन पिछले 2 महीने से उक्त प्रकल्प ठन्डे बस्ते में चला गया,क्या इसका भी हाल कचरे से बिजली निर्माण प्रकल्प की तरह होने वाला हैं,यह सवाल इन दिनों संबंधितों के मध्य हिचकोले खा रहा हैं.
शहर में निर्माणकार्य के दौरान अक्सर बड़े पैमाने पर कचरा निकलता है। इसके अलावा मनपा प्रशासन द्वारा जीर्ण-शीर्ण घर/ईमारत/भवन को गिराने और अवैध निर्माण को ढहाने से भारी मात्रा में मलबा निकलता है। इस कचरे से मनपा प्रशासन वर्षों से जूझ रही थी.
वर्ष 2022 के मार्च में, मनपा ने ‘रामकी एनविरो इंजीनियर्स लिमिटेड’ से संलग्न हैदराबाद की ‘सी एंड डी वेस्ट कंपनी’ के साथ मलवा का सदुपयोग सम्बन्धी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
समझौते के तहत शहर में ध्वस्त भवनों के साथ-साथ नए निर्माण मलबे को निपटाने की सुविधा होगी। कंपनी इस कचरे से सिर्फ रेत ही नहीं बल्कि ईंट, आईब्लॉक और टाइल्स भी बनाएगी। अब तक रेत नदी से ही आती थी, बस इतना ही सब जानते थे।
शहर में रोजाना पैदा होने वाले कचरे को प्रोसेस किया जाएगा और उससे रेत भी बनाया जाएगा। इस नवनिर्मित रेत नागरिकों को उचित दरों पर उपलब्ध होगी। करार के अनुसार उक्त कंपनी प्रतिदिन लगभग 200 टन ‘सी एंड डी’ कचरे पर प्रकिर्या करेगी।
कंपनी शहर से ‘सी एंड डी’ कचरा एकत्र करने के लिए पूरा बुनियादी ढांचा मुहैया कराएगी। इस प्रकार का महाराष्ट्र में यह केवल दूसरी परियोजना है,जिसका नागपुर में प्रयोग किया जाना हैं। यह परियोजना शहर में सड़कों, खुले स्थानों, आवासीय क्षेत्रों में ‘सी एंड डी’ कचरे को पूरी तरह से कम कर देगी। इससे नागपुर शहर को स्मार्ट और स्वच्छ बनाने में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय यह है कि मार्च में समझौता होने के बाद से प्रकल्प का काम धीमा पड़ गया हैं। आशंका जताई जा रही है कि समझौता महज औपचारिकता न रह जाए। इससे पहले, शहर में कचरे से ऊर्जा निर्माण प्रकल्प के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। राज्य सरकार ने परियोजना के लिए धन भी उपलब्ध कराया था। लेकिन अब यह प्रकल्प पूरी तरह से बंद हो गया है। संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि क्या ऐसा ही हाल मलबे से रेत,ईंट और आई ब्लॉक निर्माण प्रकल्प का होने वाला है ?