– शहर में मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन ने भी नासुप्र की तरह एक नोडल एजेंसी के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।
नागपुर – नागपुर मनपा की सबसे महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक ‘ऑरेंज सिटी स्ट्रीट’ में मॉल के विकास के लिए एजेंसी बदलने के बावजूद कोई प्रगति नहीं हुई है.चर्चाएं हैं कि भाजपा के भीतर आंतरिक राजनीति के कारण एजेंसी बदल गई है।
शहर के पश्चिमी भाग में डिफेंस ने अपनी रेलवे लाइन हटा दी। वह जमीन 20 साल पहले एनएमसी को ट्रांसफर की गई थी। इसी जगह पर ‘लंदन स्ट्रीट’ के निर्माण की घोषणा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दस साल पहले की थी। हालांकि मनपा ने प्रत्येक बजट बुक मार्फ़त इसकी जिक्र करने के अलावा कुछ नहीं किया है।
तत्कालीन महानगरपालिका स्थायी समिति के अध्यक्ष ने ‘लंदन स्ट्री’ट का नाम बदलकर ‘ऑरेंज सिटी स्ट्रीट’ कर दिया।लेकिन नाम बदलने के बाद भी किस्मत जस के तस ही रहा.
इस बीच, गडकरी ने ‘शापूरजी पालनजी’ को आर्किटेक्ट नियुक्त करवाने में अहम् भूमिका निभाई थी। इस स्ट्रीट में मॉल ,टॉवर के अलावा मटन ,सब्जियों की भी व्यवस्था की जानी थी। हालांकि, शापूरजी पालनजी कंपनी द्वारा तैयार की गई योजना करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट के रूप में तैयार हुआ,जिसे आज तक कोई मजबूत विकासक ठेकेदार नहीं मिल पाया। ऐसे में गडकरी ने काम को टुकड़ों में या चरणों में देने से इनकार कर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि एक ही ठेकेदार के मारफत सम्पूर्ण स्ट्रीट का विकास होना चाहिए।
चूंकि कोई आगे नहीं आ रहा था, गडकरी ने महामेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन को मॉल स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया। इसी के तहत मेट्रो मॉल का काम शुरू हुआ। हालांकि मनपा की बैठक में आरोप लगाया गया कि मेट्रो का कार्य धीरे-धीरे हो रहा है. भाजपा विधायक प्रवीण दटके ने मेट्रो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसलिए मनपा ने मेट्रो से काम वापस ले खुद मॉल निर्माण का फैसला किया। लेकिन मनपा भी शांत हो गई।
उल्लेखनीय यह है कि भाजपा की अंदरूनी राजनीति में मेट्रो मॉल शिकार हो रहा है. मेट्रो रेलवे को 200 करोड़ रुपये का ठेका मिला था। हालांकि पता चला है कि मनपा द्वारा समय-समय पर धनराशि का भुगतान नहीं करने के कारण मेट्रो ने काम बंद कर दिया है?
हाल ही में गडकरी मनपा और नासुप्र को काम देने के बजाय मेट्रो रेलवे से अहम प्रोजेक्ट्स को पूरा कर रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर फ्लाईओवर को गिराने का ठेका भी मेट्रो रेलवे को दे दिया गया है। इसलिए मेट्रो रेलवे कॉर्पोरेशन ने भी नासुप्र की तरह एक नोडल एजेंसी के रूप में काम करना शुरू कर दिया है।