Published On : Sat, Jul 16th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

गोंदिया: धान कस्टम मिलिंग के खेल में अजब गजब कारनामे

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स्थानीय राइस मिलर्स को आशंका उनके द्वारा जमा एडवांस चावल का धान व शॉर्टेज का धान उन्हें नहीं मिलेगा ?

गोंदिया। जिले में 335 से अधिक राइस मिलें हैं जहां मिल की क्षमता का 50 फ़ीसदी काम वह कस्टम मिलिंग के रूप में शासन के लिए करते हैं लेकिन जो 23 वर्षों में नहीं हुआ वह इस बार हो गया है ।

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अब गोंदिया जिले का धान गढ़चिरौली, चंद्रपुर , जलगांव , लातूर , औरंगाबाद जैसे दूसरे जिलों में कस्टम मिलिंग हेतु जाने की वजह से यहां के राइस मिलर के लिए कारोबार करना हर दिन मुश्किल हो रहा है इसके लिए मिलर्स आदिवासी विकास महामंडल व जिला मार्केटिंग फेडरेशन की भ्रष्टाचार पूर्ण नीति को जिम्मेदार मानते हैं।

पहले की बेमुद्दत हड़ताल, अब कस्टम मिलिंग के लिए धान को तरस रहे

गौरतलब है कि धान मिलिंग के बाद अरवा का 67% और उसना का 68% साबुत चावल शासन को देने की बाध्यता है। इस नीति का विरोध करते जिले के मिलर्स ने 45 फ़ीसदी ही झड़ती (साबुत चावल) मिलती है इस वजह से तथा कस्टम मिलिंग व परिवहन की दरों में बढ़ोतरी और बकाया गोदाम किराया व अन्य मांगों को लेकर गत दिनों लंबे समय तक बेमुद्दत हड़ताल की थी लिहाज़ा राज्य सरकार ने समस्या से निपटने हेतु धान अन्य जिलों में भेज कर वहां के राइस मिल मालिकों से धान की पिसाई (कस्टम मिलिंग) करवानी शुरू कर दी।

इस दबाव तंत्र की नीति के चलते अब दांव उल्टा पड़ने के बाद गोंदिया जिले के राइस मिलर्स को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जबकि गोंदिया जिले में स्थापित 335 राइस मिल मालिकों का कहना है कि अगर उन्हें धान की पिसाई का पूर्ण अवसर मिले तो जिले में खरीदा गया धान वह 2 से 3 माह में ही पूर्ण मिलिंग करने में सक्षम है।


गोंदिया राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि गोंदिया जिले का धान गडचिरोली व चंद्रपुर के राइस मिलर्स को औसतन 75 रूपए प्रति क्विंटल अधिक ट्रांसपोर्टेशन देकर व जलगांव लातूर तथा औरंगाबाद जिले के राइस मिलर्स को औसतन 300 रुपए प्रति क्विंटल अधिक ट्रांसपोर्टेशन देकर भेजा जा रहा है यहीं भ्रष्टाचार की जड़ है।

वास्तव में अन्य जिलों के राइस मिलर्स धान खरीदी केंद्रों को ही ऊठाए गए धान की बिक्री कर देते हैं तथा निम्न स्तरीय चावल खरीद कर शासन को जमा कर देते हैं ऐसे में धान की कस्टम मिलिंग तो हुई ही नहीं ? फिर क्यों उन्हें मिलिंग व ट्रांसपोर्टेशन की राशि दी जाए ? इस पर प्रशासन ने विचार करना चाहिए।

यह ट्रांसपोर्टेशन की राशि जो बिना ट्रांसपोर्टेशन इन राइस मिलर्स को दी जा रही है यहीं भ्रष्टाचार की जनक है।
इन राइस मिलर्स ने इस राशि से भ्रष्टाचार की जड़ें गोंदिया जिले में मजबूत कर दी है तथा धान खरीदी से जुड़े जिला कार्यालयों पर कब्जा कर रखा है इसमें कुछ स्थानीय राइस मिलर्स भी इन्हें सहयोग कर रहे हैं।

धान खरीदी से लेकर कस्टम मिलिंग में भारी गोलमाल

जिले में धान खरीदी तो पूर्ण हो गई , परिवहन और कस्टम मिलिंग अभी भी जारी है। उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारी कार्यालय के प्रशासनिक सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार 11 जुलाई 2022 को इनके पास 10 लाख क्विंटल से अधिक धान का स्टॉक मौजूद है ।
तत्पश्चात 7 जुलाई से 15 जुलाई तक 8 दिनों की खरीदी का लक्ष्य एक दिन में ही पूर्ण कर अतिरिक्त 4.5 लाख क्विंटल धान की खरीदी की बात सामने आई।

किंतु धान खरीदी के खेल में भारी गोलमाल के बाद अब कस्टम मिलिंग के खेल में भी अजब गजब के कारनामे देखने को मिल रहे हैं।
गोंदिया राइस मिल एसोसिएशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते यह आरोप लगाया है कि- विगत 1 माह से प्रति सप्ताह आदिवासी विकास महामंडल पत्र निकलकर धान खत्म हुआ , चावल जमा न करें ?

ऐसा कहते हैं स्थानीय राइस मिलर्स के चावल जमा करने के अलाटमेंट रद्द कर रहा है।

वहीं दूसरी ओर अन्य जिलों व कुछ खास स्थानीय राइस मिलर्स को भारी मात्रा में अलाटमेंट दिए जा रहे हैं।

स्थानीय राइस मिलर्स द्वारा जमा किए गए चावल के बदले विगत 15-20 दिनों से धान नहीं दिया जा रहा है , इनके चावल अलॉटमेंट रद्द कर दिए गए हैं वहीं दूसरी और अन्य जिलों के कुछ खास राइस मिलर्स को प्रतिदिन दिए DO व अलाटमेंट दिए जा रहे हैं , क्या यह कार्यप्रणाली कुछ विशेष क़िस्म के भ्रष्टाचार की ओर इशारा नहीं कर रही है ?

50 त्रस्त राइस मिलर्स , शिकायत दर्ज कराने मार्केटिंग फेडरेशन के दफ्तर पहुंचे

आदिवासी विकास महामंडल की भांति विगत 1 माह से जिला मार्केटिंग फेडरेशन द्वारा स्थानीय राइस मिलर्स को पत्राचार कर उन्हें डराया जा रहा है कि चावल जमा ना करें , अलॉटमेंट रद्द कर दिए गए हैं ?

सैकड़ों स्थानीय राइस मिलर्स इन दोनों कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं उन्हें ना तो धान का DO दिया जा रहा है , ना ही अलॉटमेंट ?
जबकि हेड ऑफिस की सिफारिश पर कार्यालय के बाहर अन्य जिलों व राइस मिलर्स को भारी मात्रा में अलाटमेंट व धान दिया जा रहा है।

जिले के अधिकांश राइस मिलर्स उपरोक्त दोनों विभागों की वर्तमान कार्यप्रणाली से नुकसान ग्रस्त हो रहे हैं लिहाज़ा त्रस्त 40 से 50 राइस मिलर्स ने जिला मार्केटिंग फेडरेशन कार्यालय जाकर अपनी शिकायतें दर्ज कराई है।

उन्हें इस बात की आशंका है कि उनके द्वारा एडवांस जमा चावल का धान व शॉर्टेज का धान उन्हें नहीं मिलेगा ?

गोंदिया राइस मिल एसोसिएशन की मांग है कि दोनों कार्यालय को तत्काल स्थानीय प्रशासन अपने कब्जे में करे व इनके द्वारा की जा रही अनियमितताओं से राइस मिलर्स व राज्य सरकार को हो रहे भारी नुकसान की जांच की जाए तथा हुए नुकसान की भरपाई इन्हीं से वसूली जानी चाहिए।

रवि आर्य

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