Published On : Wed, Aug 17th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

ठेकेदार 2 ,कार्यालयीन पता एक

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– शालेय पोषण आहार का ठेका प्राप्त करने के लिए बचत गटों ने फर्जी दस्तावेज संलग्न किए

नागपुर -शालेय पोषण आहार का ठेका प्राप्त करने के लिए बचत गटों ने फर्जी दस्तावेज संलग्न किए हैं, वहीं निविदाओं में भाग लेने वाले दो अलग-अलग प्रतिस्पर्धी स्वयं सहायता समूहों का पता एक समान पाए गए हैं।

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मनपा सीमान्तर्गत विद्यालयों में पोषाहार वितरण हेतु 9 संस्थाओं का चयन किया गया। इनमें अन्ना अमृत फाउंडेशन, नागपुर महिला मंडल, सुसानस्कर मल्टीपर्पज सोसाइटी, दीपज्योति महिला बचत समूह, मयूर महिला बचत समूह, निसर्ग महिला बचत समूह, माँ वैष्णवी बचत समूह, संजीवनी महिला बचत समूह, शिवानी महिला बचत समूह शामिल हैं।
इनमें अन्ना अमृत फाउंडेशन, नागपुर महिला मंडल, सुसानस्कर बहुउद्देश्यीय संगठन, दीपज्योति महिला बचत समूह, मयूर महिला बचत समूह, निसर्ग महिला बचत समूह को ठेके मिले।
हालांकि, इसका पता सुसंस्कर बहुउद्देश्यीय संगठन, जिसे अनुबंध मिला था और सेजल महिला बचत गुट, जिसने निविदा जमा की थी, का एक ही पता है।
दिलचस्प बात यह है कि 23 योग्य संगठनों में सेजल महिला बचत समूह को भी स्थान दिया गया था। सवाल यह है कि एक ही पते पर दो संगठन एक ही प्रकार के अनुबंध के लिए कैसे अर्हता प्राप्त कर सकते हैं।
कहा गया कि शिक्षा अधिकारी के सभी लिखित दस्तावेजों की ठीक से जांच की गई. हालांकि, अगर ऐसा है, तो यह तथ्य कि एक ही पते पर दो संस्थान हैं, उनके संज्ञान में नहीं आना चाहिए,मामला संदिग्ध है। इसलिए मामले की पूरी जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

दोनों विभागों की ऑडिट रिपोर्ट अलग-अलग
गजानन महिला बचत समूह, गंगा महिला बचत समूह, जय जगदंबा, नवप्रतिभा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग महिला संस्कार, रुक्मादेवी महिला बचत समूह, सारिका महिला बचत समूह, श्रेया महिला बचत समूह, शुभम महिला बचत समूह, स्नेहा महिला बचत समूह, सेजल महिला बचत समूह बाल विकास परियोजना में विद्यालय पोषण हेतु ठेका प्राप्त करने हेतु वर्ष 2018-19 के लिए दो पृथक वार्षिक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन ‘हॉट फ्रेश फूड टेंडर’ एवं ‘स्कूल पोषाहार टेंडर’ में प्रस्तुत किया गया है।
इसलिए, बचत समूहों की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकारियों ने भी यह सवाल नहीं पूछा कि एक ही संगठन की दो ऑडिट रिपोर्ट एक ही समय में कैसे जारी की जा सकती हैं। दूसरी ओर, ऐसा प्रतीत होता है कि टेंडर देने वालों की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट भी अधिकारियों के पास उपलब्ध नहीं है। इस बीच जब गौतम गेडम से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
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