Published On : Thu, Aug 18th, 2022
By Nagpur Today Nagpur News

सिरसाट-कडु कर रहे नाक में दम

Advertisement

– राठौड़-सत्तार ब्लैक मेलिंग कर आये मंत्रिमंडल में

नागपुर – महाराष्ट्र में शिवसेना में सेंध लगाकर भाजपा भले ही सत्ता में आई लेकिन कितने दिनों के लिए आई यह कहना मुश्किल हैं.क्यूंकि शिवसेना के बागी शिंदे मुख्यमंत्री तो बन गए लेकिन उनके लिए उद्धव ठाकरे को दगा देने वालों का भी भला नहीं होने से उनका पुरजोर विरोधाभास शुरू हो गया.नतीजा विधायक संजय सिरसाट-बच्चू कडु सरकार के खिलाफ बोल रहे तो दूसरी ओर भाजपा में नंबर -2 की रेस में दिख रहे सभी को मुख्यधारा से दूर करने का क्रम जारी है.इस लिए ऐसा लग रहा है कि वर्त्तमान सरकार अस्थिर हैं ?

Gold Rate
Thursday 09 Jan. 2025
Gold 24 KT 78,700 /-
Gold 22 KT 73,200 /-
Silver / Kg 91,200 /-
Platinum 44,000/-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

यह कड़वा सत्य है कि महाविकास आघाड़ी सरकार को सत्ता से दूर करने के लिए भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने अहम् भूमिका निभाई। लेकिन उनकी कूटनीति के वे खुद ही शिकार हो गए.पक्ष अंतर्गत जिनके-जिनके उन्होंने राजनैतिक रूप से पर कतरे,सभी ने एकजुटता दिखते हुए इस बार उसका हिसाब बराबर कर दिया,नतीजा ‘कॅप्टन’ को ‘वाईस कैप्टन’ बनने को मजबूर होना पड़ा.

इसके बावजूद भी नहीं थमे,इस दावे भी उनके सभी प्रतिद्वंद्वियों को दरकिनार करने में सफल हुए,पंकजा मुंडे,चंद्रशेखर बावनकुले,आशीष सेलार आदि को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया।

दूसरी ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट में शुरू से ही उठा-पठक हो रही.मंत्रिमंडल में स्थान पाने के लिए अब्दुल सत्तार और संजय राठौड़ ने ब्लैकमेलिंग की,वर्ना वे उद्धव ठाकरे के पास लौट जाने की धमकी दिए.वहीं बच्चू कडु और संजय सिरसाट को शिंदे से उम्मीद थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में स्थान मिलेगा लेकिन ऐन वक़्त पर नाम काट दिए जाने से दोनों बौखला गए,दोनों की बयानबाजी इनदिनों सरकार के लिए सिरदर्द बन गई हैं.

कडु-सिरसाट को जल्द दूसरा विस्तार कर मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया तो उनका बागी तेवर पुनः सत्ता पलट के इच्छुकों को मजबूती प्रदान कर सकता हैं ? जिसकी राह महाविकास आघाड़ी के शीर्षथ्य नेता कर रहे हैं !

खफा मंत्री व इच्छुक
उल्लेखनीय यह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में संकुचित मानसिकता के कारण उक्त बखेड़ा खड़ा हुआ.मंत्रिमंडल की संख्या 50 के आसपास होनी चाहिए,लेकिन 20 पर ही मेहरबान रही,शेष 30 को भी तरजीह दी गई होती तो उक्त मसला हिचकोले नहीं खाता।

इसके अलावा विभाग वितरण से भी एक दर्जन से अधिक मंत्री खफा है,पिछली दफा महत्वपूर्ण विभाग सँभालने वालों को हल्का विभाग दिया गया.अधिकांश मलाईदार विभाग मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री के पास ही हैं.इस मामले ने भी तूल पकड़ना शुर कर दिया हैं.

Advertisement