– पारेषण हानी फीसदी 10 और 20 फीसदी बिजली चोरी ,क्षमता बढाने हेतु पुराने पावर प्लांटों का नूतनीकरण जरुरी
नागपुर – राज्य सरकार के पास विकास निधि के अभाव में महानिर्मिती की सभी तापीय बिजली परियोजनाएं दम तोडने की कगार पा आ खडी है।
उधर वरिष्ठ अधिकारियों की लालफीताशाही नीतियों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में 10 फीसदी पारेषण हानी और 20 फीसदी बिजली की चोरी से विधुत मंडल सूत्रधारी कंपनी का दिवाला निकल रहा है।
विधुत विशेषज्ञों की माने तो सफलतम बिजली उत्पादन एवं विकास के लिए समय समय पर बिजली संयंत्रों का नूतनीकरण एवं आधुनिकीकरण करवाया गया तो उत्पादन क्षमता मे बेहतासा बृद्धी संभव है।विशेषज्ञों के अनुसार बिजली केन्द्र के प्रत्येक संयंत्रों के टर्बाइन जनरेटर मशीनों का चक्र प्रति मिनट तीन हजार राऊंड घूमता है।परिणामतः बिजली उत्पादन की क्षमता बढती है। इसके अलावा साल मे एक मर्तबा प्रत्येक बिजली संयंत्रों का ओवर आयलिंग (मरम्मत सुधार) जरुरी है एवं हर पांच सालों में कैपिटल ओव्हर आयलिंग करवाना अति आवश्यक होता है.ताकि बिजली संयंत्रों मे आवश्यक नये कलपुर्जे स्थापित किये जा सकें। बाष्पक संयंत्रों मे अधिकतम बिजली उत्पादन के लिए प्रारंभिक तौर पर फर्नेश आईल का उपयोग जरुरी है।परिणामतः पावर प्लांट संयंत्रों का अधिकतम तापमान 540 सेन्टीग्रेट से भी अधिक रहना चाहिए।
बाष्पक संयंत्रों के आंतरिक हिस्सों में स्थापित बाष्पक ट्यूब्स के भीतर गर्म के प्रभाव से भाप बनने मे मदद करती है।निरंतर यह प्रकिया शुरु रहने से भाप के दबाव एवं प्रेसर से चक्रसंधारण (टर्बाइन जनरेटर) का चक्र प्रति मिनट तीन हजार राऊंड घूमना जरुरी है तब कहीं उत्पादित बिजली को स्वीसयार्ड मे स्टोरेज होकर हाईटेंशन अति उच्चदाब पारेषण लाईन के जरिए राज्य के समस्त जिला तालुकाओं के विधुत स्टेशनों में आपूर्ति किया जाता है। एवं विधुत स्टेशनों से शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वितरण कंपनी के माध्यम से प्रत्येक घर घर तथा कृषि उपज हेतु किसानों के कुआं पम्पों तथा लघु औधोगिक, कल-कारखानों के अलावा भारी औधोगिक इकाइयों में बिजली आपूर्ति कनेक्शन वितरित किये जाते हैं।
पावर प्लांटों मे महत्वपूर्ण संयंत्र टर्बाइन जनरेटर मशीन का आंतरिक एवं बाहरी आवरण एवं आकार मे तकनीकी बिगाड़ आते रहता है।इससे बिजली उत्पादन की क्षमता मे बृद्धी के वजाय धीरे-धीरे गिरावट होने लगती है।
उधर पावर प्लांटों के कोल हैन्डलिंग प्लांटों मे कोयला आपूर्ति संयंत्र कोल कन्वेयर बेल्ट कोल बंकर एवं कोल मिलें निरंतर चलने से उनके स्पेयर पार्ट्स तथा बेयरिंग घिसने लगते हैं।नतीजतन घिसे स्पेयर पार्ट्स को हटाकर नये बेयरिंग, एवं रोलर पुलि और अन्य कलपुर्जे फिट करना पडता है. अन्यथा पावर प्लांट से उर्जा उत्पादन बाधित हो सकता है। सी एच पी मे स्थापित स्टेकर रिक्लेमर संयंत्रों के जरिए कोयले को कन्वेयर बेल्टों सप्लाई किया जाता है।इसके अलावा भूमिगत बैगन टिप्लर के जरिए कोल कन्वेयर बेल्टों के माध्यम से सीधे क्रेशर हाऊस मे कोयला चूरा होने के पश्चात कन्वेयर के जरिए कोल बंकर एवं कोल मिलों मे भेजा जाता है जहां कोयले का महीन पावडर बनकर बाष्पक संयंत्रों मे बिजली उत्पादन की प्रक्रिया शुरु कर दिया जाता है।
उसी प्रकार टर्बाइन जनरेटर के निचले हिस्से से निकलने वाले गर्म पानी कन्डैंसर के जरिए कुलीन टावर्स के जलागार मे ठन्डा होने के लिए छोडा जाता है एवं गर्म पानी को कुलिनटावर्स से नहर के माध्यम से जलाशय तालाब के हवाले कर दिया जाता है।बाद मे वही पानी बिजली उत्पादन की प्रक्रिया के लिए वाटर पम्प हाऊस मे स्थापित बडे पाईप लाईन के जरिए पावर प्लांटों मे आपूर्ति किया जाता है।
विशेषज्ञों की माने तो विकास निधि के अभाव में तापीय बिजली परियोजनाएं दम तोड रहीं है।
नई बिजली परियोजनाओं का निर्माण जरुरी है
आल इंडिया सोसल आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री ने केन्द्र एवं राज्य सरकार से मांग की है कि बढती बिजली की मांग और उत्पादन क्षमता की कमी के मद्देनजर प्रस्तावित नई बिजली परियोजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि जनता को लोडसैडिंग से छुटकारा पाया जा सके। महानिर्मिती के प्रत्येक पुराने पावर प्लांट परिसर मे पावर प्लांटों के निर्माण के लिए भरपूर जमीन उपलब्ध है।