नागपुर: हाल ही में शहर पुलिस की आरोपीसेल में तैनात कुछ पुलिसकर्मियों की मदत से मकोका के एक कुख्यात आरोपी द्वारा जेल में गांजा की तस्करी करते हुए जेल के भीतर जेल कर्मियों द्वारा पकड़े जाने के बाद आरोपी सेल के 2 पुलिसकर्मियों को पुलिस आयुक्त द्वारा तत्काल निलंबित किया गया है साथ ही इसी से जुड़ी दूसरी एक खबर में नागपुर सेंट्रल जेल में मोबाइल की दर्जनों बैटरीया के मिलने से भी हड़कंप सा मच गया है फिलहाल पुलिसविभाग द्वारा इसबारे में तफ्तीश जारी है और इसका निपटारा होना अब भी बाकी है ।
आपको बता दे कि, हाल ही में एक अन्य पुलिसकर्मी द्वारा एक विचाराधीन शातिर कैदी को फोन का उपयोग करने की अनुमति देने का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस महकमे में जबरदस्त हड़कंप मच गया है । विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आरोपी सेल के कुछ कथित पुलिसकर्मियों ने अज्ञात व्यक्तियों के साथ संवाद करने के लिए अपना फोन अंडर ट्रायल कुख्यात कैदी को दे दिया था जिसका खुलासा हो चुका है । देखा जाए तो आएदिन आरोपी सेल के कुछ चुनिंदा पुलिस अधिकारी तथा कर्मचारी पैसो के लालच में आकर अपनी नौकरी दाव पर लगाकर पुलिस विभाग को शर्मशार करने वाली हरकते करते दिखाई देते है साथ ही इनके इस कुकृत्य का भंडाफोड़ होने के बाद नौकरी से निलंबन के कार्रवाई का सामना भी इन्ही को करना पड़ता है ।
नागपुर टुडे को मिले इस वीडियो में, आरोपी सेल के पुलिसकर्मियों द्वारा एक अंडर ट्रायल कुख्यात कैदी को अपने मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति देते हुए साफतौर पर देखा जा सकता है । इस वीडियो में समूचा जेलपरिसर दिखाई दे रहा है । आपको बता दे कि, विगत कई वर्षों से नागपुर सेंट्रल जेल के अंदर सजा भुगत रहे कुछएक विशेष कैदियों को पुलिस कर्मचारियों की मिलिभगत से मेडिकल अस्पताल में वीआईपी उपचार भी दिलवाया जा रहा है जो इन लालची पुलिस कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है । सूत्रों से मिली पुख्ता जानकारी के अनुसार आरोपी सेल के प्रमुख मौजूदा एपीआई राजकुमार वानखेड़े का आरोपी सेल पर कोई नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है । गौरतलब है कि नागपुर पुलिस की आरोपीसेल इसके पहले भी कई बार गंभीर विवादों में घिर चुकी है मगर आश्चर्य की इन विवादों से अबतक शहर पुलिस द्वारा कोई सबक नही लिया गया ।
ज्ञात रहे कि सन 2018 में भी नागपुर शहर पुलिस के इस आरोपीसेल के आठ पुलिस कर्मचारियों को ऐसे ही गंभीर आरोपो में लिप्त पाए जानेपर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था । उन पर भी आरोप लगा था कि कुछ सजायाफ्ता मुजरिमों को अदालत में ले जाते समय उनकी विशेष सेवाचाकिरी या मदद की जाती थी और इसके बदले में उन्हें अच्छा पैसा दिया जाता था ।
जब नागपुर टुडे ने पुलिस आयुक्त अमितेशकुमार से संपर्क किया, तो उन्होंने जोर देकर कहा कि इस मामले में गहराई से जांच शुरू की गई है । उन्होंने कहा कि अगर ईस मामले में किसी पुलिसकर्मी तथा अधिकारी की सदिग्ध भूमिका सामने आती है तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ।