– छोटी-छोटी शिकायतों के लिए नागरिकों को दो से दो महीने इंतजार करना पड़ रहा
नागपुर – मनपा चुनाव में देरी के चलते 5 मार्च से प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई है. करीब छह माह से काम नहीं होने से शहर के विभिन्न हिस्सों में समस्याओं का अम्बार हो गया। छोटी-छोटी शिकायतों के लिए नागरिकों को दो से दो महीने इंतजार करना पड़ता है।
कई बस्तियों में विभिन्न विकासकार्य के लिए खुदाई हो चुकी है,लेकिन इसकी ‘रिफिलिंग’ नहीं की गई है, जिससे देखा जा रहा है कि अधिकारी ठेकेदारों के काम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. विकास कार्यों में सत्ताधारियों की ओर से कोई बाधा न आने के कारण शहरवासियों को उम्मीद थी कि शहर में विकास कार्यों में तेजी आएगी और नागरिक समस्याओं का भी तत्काल समाधान होगा. इन छह महीनों के दौरान मानसून से पहले किए जाने वाले कार्य प्रमुख रहे। लेकिन जुलाई-अगस्त में हुई बारिश ने मानसून की तैयारियों की पोल खोल दी।
ड्रेनेज लाइन,सीवेज लाइन की क्षमता उजागर हुई। देखा गया कि कई दिनों से बस्तियों में पानी भर गया है। नागरिकों द्वारा की गई शिकायतों पर भी ध्यान नहीं दिया गया। कुछ इलाकों में बारिश में ही बरसाती नालों को खोलकर साफ कर दिया गया।
शहर के पार्क जर्जर अवस्था में हैं और घास घुटने तक गहरी हो गई है। सिविल लाइन,उत्तर नागपुर में बस्तियों,दक्षिण नागपुर में हुडकेश्वर रोड,मानेवाड़ा बेसा सड़कों की दशा दयनीय हैं। हुडकेश्वर थाना से पिपला रोड तक बरसात के दिनों में खोदा गया था। इन सड़कों पर काम शुरू नहीं होने से वाहन चालकों व राहगीरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस सड़क के कारण ऐसा आभास होता है कि इस सड़क पर काम करने वाले ठेकेदार पर अधिकारियों का नियंत्रण नहीं है और संबंधित जोन अधिकारियों पर वरिष्ठ अधिकारियों का नियंत्रण नहीं है। इससे कई सवाल उठ रहे हैं कि शहर में मनपा का अस्तित्व या महत्त्व है या नहीं, आखिर अधिकारियों की जिम्मेदारी क्या है,प्रशासक काल में क्या वे अपनी जिम्मेदारी भूल गए।