नागपुर: खान मंत्री दादाजी भूसे ने मंगलवार को भूविज्ञान एवं खान विभाग को राज्य के विभिन्न भागों में खनिज भंंडारों की व्यापक खोज करें और प्रदेश में रोजगार सृजन को प्राथमिकता दें। नए खनिज आधारित उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर पैदा हो सकें, इस उद्देश्य से अधिकारी गण पहल करें। इस अवसर पर विधायक एड आशीष जायसवाल, निदेशक भूविज्ञान एवं खनन विभाा अंजलि नागरकर, उप निदेशक डाॅ एसपी आवले, सुरेश नैताम, प्रशांत कोरे सहित निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी गण उपस्थित थे।
मंंत्री भूसे ने इस अवसर पर कहा कि नए खनिज आधारित उद्योगों की शुरूआत के साथ-साथ विद्यमान उद्योगों को आवश्यक खनिज भंडार उपलब्ध कराने के लिए खनिजों की खोज करना भी आवश्यक है। जिला खनिज नींव निधि से खदान प्रभावित क्षेत्रों के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं पर विशेष बल दिया जाए। इस कोष का उपयोग खदानों से प्रभावित गांवों की सूची बनाकर उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने में किया जाए, इस आशय के निर्देश भूसे ने दिए।
विदर्भ में मुख्य रूप से कोयला, लौह अयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट, क्रोमाइट, तांबा, चूना पत्थर आदि जैसे माध्यमिक खनिजों के प्राकृतिक स्रोत हैं। इन खनिजों के स्रोतों का पता लगाकर संबंधित स्थान पर खदान बनाई जा सकती हैं। खनिज आधारित उद्योग स्थापित करके, उस क्षेत्र के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं। भूसे ने यह भी कहा कि प्राकृतिक स्रोत खनिजों के निष्कर्षण और उत्पादन से राजस्व एकत्र करके राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है।
मंत्री ने भूविज्ञान एवं खान निदेशालय में अधिकारियों के रिक्त पदों की समीक्षा की। अधिक राजस्व एकत्र कैैसे किया जा सकता है, इसका विश्लेषण किया। अधिकारियों के पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए, प्रयोगशाला वैज्ञानिक, सर्वेक्षक आदि पदों को पहले भरा जाना चाहिए।उन्होंने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण कार्य जैसे परमिट और पास धारकों को खनन खनिजों के परिवहन का सत्यापन, ट्रांजिट पास की प्रामाणिकता की पुष्टि आदि को आधुनिक तकनीक और ई-सेवा प्रणालियों का उपयोग करके नियंत्रित किया जाना चाहिए। प्रधान मंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना राष्ट्रीय खनिज पूर्वेक्षण ट्रस्ट रॉयल्टी संग्रह निदेशालय विजन फ्यूचर प्लान द्वारा कार्यान्वित ई-गवर्नेंस महाजोमिन व्यापार सुगमता नीति के कार्यान्वयन की विस्तार से समीक्षा की गई।निदेशक नागरकर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से मंत्री को नियोजित कार्यों की जानकारी दी। जायसवाल ने कहा कि खदानों से प्रभावित या विस्थापित लोगों को जिला खनिज फाउंडेशन कोष से प्राथमिकता के आधार पर सुविधाएं उपलब्ध करायी जाए।
खनन एवं पर्यावरण विभाग की राज्य स्तरीय संयुक्त समीक्षा बैठक मुंबई में होगी और उन्होंने खनन को लेकर केंद्र सरकार के दोनों विभागों की समस्याओं पर चर्चा कर समाधान निकालने का वादा किया। निजी खनन कंपनियों को खनिज निकालने में आ रही मुश्किलें निजी कंपनियों एवं राज्य सरकार दोनों के स्तर पर विश्लेषण करना होगा। उद्योग को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
भूसे ने कहा कि वे राज्य में खनन कंपनियों को लाइसेंस प्रदान करते समय कर्नाटक और ओडिशा के उच्च न्यायालय में लंबित मामलों का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।
साथ ही जल्द ही भूसे ने आश्वासन दिया कि वे जल्द मुख्यमंत्री उपमुख्यमंत्री, पर्यावरण मंत्री के साथ संयुक्त बैठक करेंगे। मंत्री भूसे ने इस अवसर पर कहा कि वे राज्य की विकास प्रक्रिया में अधिकतम योगदान देंगे और नीतियों में जटिलताओं के बीच भी रास्ता निकालेंगे। रोजगार सृजन पर ध्यान देना उनके मंत्रालय एवं संबंधित विभागों का सर्वोच्च प्राधान्य होगा।
राज्य सरकार सिंगल विंडो योजना पर भी काम करेगी। वन विभाग से अनुमति मिलने में हो रही देरी के कारण कुछ नीतियों के क्रियान्वयन में देरी हुई है, लेकिन अनुमति मिलते ही अतिशीघ्र कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि खनन विभाग समस्याओं के रिपोर्ट मंत्रालय को सौंपे।