बेमौसम बारिश से बढ़ी परेशानी , दफ्तरों पर लटक रहे ताले , अंधेरे में डूबा देवरी तहसील
गोंदिया। निजी कंपनी को समानांतर बिजली वितरण लाइसेंस जारी किए जाने के प्रयास के विरोध में महाराष्ट्र बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण का विरोध शुरू कर दिया है और 4 जनवरी देर रात से 72 घंटे की अनियंत्रित हड़ताल घोषित कर दी है जिसके कारण जिले के देवरी तहसील को करंट (शॉक ) लगा है यहां बुधवार तड़के हुई बारिश के बाद कई शहरी और ग्रामीण कस्बों में लोग बिजली नहीं आने के कारण परेशानियों का सामना कर रहे हैं ।
बेमौसम हो रही बारिश तथा बिजली कर्मचारियों की अनियंत्रित हड़ताल के कारण गोंदिया शहर सहित जिले की सभी 8 तहसीलों में भी विद्युत सेवा प्रभावित होने की संभावना व्यक्त की जा रही है ?
निजीकरण के प्रयास के खिलाफ जिले के 700 बिजली कर्मचारी अनियंत्रित हड़ताल में शामिल
निजी करण के प्रयास के खिलाफ गोंदिया जिले में रजिस्टर्ड 7 यूनियनों के लगभग 700 स्थाई कर्मचारी अनियंत्रित हड़ताल पर चले गए और सरकार के खिलाफ उन्होंने मोर्चा खोल दिया है।
72 घंटे की हड़ताल पर गए ड्राइवरों , वायरमेनों , इंजीनियरों व अन्य कर्मचारियों ने सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से बिजली वितरण क्षेत्र में
निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है उनका कहना है कि राज्य बिजली वितरण में किसी भी निजी कंपनी को समानांतर लाइसेंस न दिया जाए।
विशेष उल्लेखनीय की अदानी ट्रांसमिशन की सहायक कंपनी अदानी इलेक्ट्रिसिटी नवी मुंबई लिमिटेड ने विद्युत नियामक आयोग ( एमईआरसी ) में लाइसेंस हेतु आवेदन दिया था जिसके बाद से बिजली सेक्टर यह अडानी ग्रुप के हाथों में चला जाएगा यह कयास लगाए जा रहे हैं।
बता दें कि बिजली कंपनियों के कर्मचारियों की महाराष्ट्र में 30 से अधिक यूनियनें है जो निजीकरण के प्रयास को विफल करने के लिए एक साथ आ गई है इनमें 7 यूनियनें गोंदिया जिले के सर्कल और जोन में रजिस्टर्ड है जिनके 700 बिजली कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए है जबकि ठेका पद्धति पर कार्यरत कर्मचारी काम पर लगे हुए हैं।
विद्युत विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल खत्म करने के लिए लग सकता है एस्मा ?
माना जा रहा है कि बिजली कर्मचारियों के 3 दिवसीय हड़ताल को अवैध घोषित करने के लिए सरकार द्वारा एस्मा के तहत कार्रवाई की जा सकती है ? जिसके लिए राज्य के सभी 23 सर्कल के कलेक्टरों को सरकार द्वारा निर्देश जारी किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
बता दें कि बिजली और पानी
अतिआवश्यक सेवाओं में शामिल है तथा सरकार बिजली सेवा को किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होने दे सकती।
सभी यूनियनों से कहा गया है कि ठेका पद्धति पर जो बिजली कर्मचारी ड्यूटी पर हैं उनके काम में कोई बाधा उत्पन्न ना करें और ना उन्हें कोई तंग करें अन्यथा सख्त कार्रवाई होगी।
रवि आर्य