नागपुर: प्रसिद्ध रूसी-अमेरिकी कवि व्लादिमीर डोलगाव ने महाकवी सुधाकर गायधनी के विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य कविता-देवदूत के 4 खंडों (प्रोस्थेट 450) का रूसी भाषा में अनुवाद किया है और इस महाकाव्य कविता के बारे में उनका कहना है कि यह महाकाव्य कविता से परे है। होमर और मिल्टन के महाकाव्य की ही तरह यह एक महान साहित्यिक रचना है। दुनिया के स्कूलों और कॉलेजों में इस महाकाव्य का अध्ययन किया जाना चाहिए।
यह इतना मौलिक है कि इसका अध्ययन सभी धार्मिक टीकाकारों से लेकर राजनीतिक नेताओं तक को करना चाहिए। गायधनी को इस कविता निर्माण के लिए रूसी लेखक संघ के साथ यूक्रेन में विश्व साहित्य संगठन द्वारा पहले ही सम्मानित किया जा चुका है। यह एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि दोनों दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति है। महाकवि गायधनी की कविताओं का अब तक 34 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
भारत से डॉ. ओम बियाणी, विश्वास वैद्य, डॉ. दत्ता सावंत, गौरी देशपांडे, आनंद जोग ने उनकी कविताओं का मराठी से अंग्रेजी में अनुवाद किया है। अमेरिका, रूस, मैसेडोनिया, अल्बानिया, इंग्लैंड, पोलैंड, इजराइल, स्पेन, एस्टोनिया, यूक्रेन, पनामा, इटली, किर्गिस्तान, कोलंबिया, पेरू, ग्रीस, कनाडा, सर्बिया, बोस्निया और रोमानिया के काव्य विद्वानों ने गायधनी की कविता पर टिप्पणी करते हुई सराहना की है। “कॉन्टैंक इंटरनेशनल” जल्द ही रोमानिया से “कॉन्टैंक इंटरनेशनल” पत्रिका का एक विशेष अंक प्रकाशित कर रहा है, जिसमें उनके समग्र देवदूत महाकाव्य पर अधिक जानकारी है।