नागपुर: आने वाले समय में शहर की आबादी बढ़ने वाली है। वर्तमान में, नागपुर के लोगों के लिए पानी की आपूर्ति सीमित है। भविष्य में पानी की अत्यावश्यकता को देखते हुए नागपुर महानगरपालिका को सभी के लिए ‘वर्षा जल संचयन’ अनिवार्य करना चाहिए। लेकिन 30 लाख की आबादी वाले शहर में केवल 150 से 200 लोगों ने ही वर्षा जल संचयन किया है। चूँकि वर्षा जल संचयन स्वच्छता की तरह गंभीर नहीं है, स्मार्ट सिटी सूखे की ओर दौड़ रही है और संभावना है कि भविष्य में नागपुर के लोगों को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा। नागपुर के लोगों को तोतलाडोह और नवेगांव खैरी जलाशय से पानी मिलता है। पिछले दो साल में अच्छी बारिश से जल संकट टल गया था। इस साल भी गर्मी में पानी का संकट नहीं है।
लेकिन बारिश की परिवर्तनशीलता जारी है और हर साल बारिश की मात्रा कम हो रही है। इसके चलते 2019 में नागपुर महानगरपालिका को दिन भर पानी का प्रबंध करना पड़ा। ऐसी कोई तस्वीर नहीं है कि नागपुर महानगरपालिका ने इससे कोई सबक लिया हो। मनपा ने नागरिकों द्वारा वर्षा जल संचयन करने पर संपत्ति कर में सामान्य कर से छूट देने की योजना शुरू की है। जन जागरूकता की कमी के कारण यह योजना अभी तक आम नागरिकों तक नहीं पहुंच पाई है। नगर नियोजन विभाग के अधिकारी गण नए मकान के निर्माण की योजना स्वीकृत करते समय संबंधित मकान मालिक को वर्षा जल संचयन सुविधा उपलब्ध कराना अनिवार्य बताते हैं। लेकिन मनपा के पास यह जांचने की व्यवस्था नहीं है कि मकान मालिक ने वर्षा जल संचयन किया है या नहीं। बारिश के पानी का संचयन नहीं होने से बारिश का पानी बह रहा है और शहर की जमीन भी सूख रही है। नतीजतन, अगर बारिश नहीं होती है, तो भविष्य में नागपुर के लोगों के लिए बड़े संकट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
राज्य सरकार के निर्देश की भी उड़ाई गईं धज्जियां
राज्य सरकार ने जल संकट को देखते हुए वर्षा जल संचयन के संबंध में 7 जून, 2007 को एक अधिसूचना जारी की। लेकिन नागपुर महानगरपालिका ने इस पर ध्यान नहीं दिया। चूंकि यह अधिसूचना प्रभावी ढंग से लागू नहीं की जा रही थी, इसलिए राज्य सरकार ने 17 जून 2016 को फिर से एक अधिसूचना जारी की और नगर पालिकाओं को इसे सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। लेकिन एक तस्वीर है कि नगर निगम ने राज्य सरकार के निर्देशों की अवहेलना की है।
अधिकतर सरकारी कार्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सुविधा नहीं
मनपा समेत शहर के कई सरकारी कार्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग नहीं है। यह सुविधा मनपा के दो जोन कार्यालयों में उपलब्ध है। शहर में तमाम विधायकों एवं सांसदों के घरों में भी जल संचयन नहीं हो रहा है। इसलिए नागपुर महानगरपालिका शहर की नामी हस्तियों व जनप्रतिनिधियों से वर्षा जल संचयन करने पर जोर देने की आवश्यकता जता रहा है।
वर्षा जल संचयन भी पेड़ों को हरा रखता है। वर्षा जल संचयन में शहर में बढ़ते तापमान को रोकने की भी क्षमता है। लेकिन कुल मिलाकर नागपुर महानगरपालिका द्वारा इस योजना की उपेक्षा शहर के पर्यावरण के लिए खतरनाक है। सीमेंट की सड़कों के कारण शहर का तापमान बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में वर्षा जल संचयन की आवश्यकता होते हुए भी इस बात की संभावना है कि नई पीढ़ी को इसकी उपेक्षा का गंभीर परिणाम भुगतना पड़ेगा।
वर्षा जल संचयन शहर के लिए फेफड़े की तरह काम करता है। अगर बारिश का पानी मिट्टी में रिस जाएगा तो भूजल स्तर ऊपर उठ जाएगा और पानी की कमी नहीं होगी। इस पानी का उपयोग नागरिक गर्मी में ही नहीं, बोरवेल या कुएं के जरिए कभी भी कर सकते हैं। शहरों में नगर पालिका या ग्रामीण क्षेत्रों में नगर परिषद नक्शों को स्वीकृत करते समय वर्षा जल संचयन को अनिवार्य रूप से क्रियान्वयन करती हैं। लेकिन इस निर्देश को सख्ती से लागू करने की जरूरत है।
– डॉ. प्रवीण महाजन, जल वैज्ञानिक