नागपुर: भारतीय थलसेना के ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के अधिकारियों को एक अगस्त से वर्दी दी जाएगी। यह कदम वरिष्ठ अधिकारियों के बीच सेवा मामलों में आम पहचान और दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया बताया जा रहा है। इस बदलाव से रेजिमेंट, कोर, हथियार के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों की पहचान मिट जाएगी। रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क अधिकारी विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने कहा, कंधे रैंक बैज, गोरगेट पैच (कॉलर पर पहना जाने वाला), वरिष्ठ अधिकारियों के आधार पर सेना में सेवा का प्रकार जैसे तोपखाने, पैदल सेना या विभिन्न सेवाएं, बेल्ट और जूते अलग हैं। सेना ने इसमें समानता लाने का फैसला किया है।
ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारी एक अगस्त से कोई रस्सी नहीं पहनेंगे। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में हुई आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में इस पर विस्तार से चर्चा हुई थी। इसके बाद यह फैसला लिया गया है। वर्तमान में सेना में संबंधित शस्त्रों, रेजीमेंटों और सेवाओं से जुड़ी विभिन्न प्रकार की वर्दी और ड्रेस कोड हैं। यह बदलाव सिर्फ ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के अफसरों की वर्दी के लिए है। कर्नल और उससे नीचे के रैंक के अधिकारियों की वर्दी में कोई बदलाव नहीं होगा।
इस परिवर्तन के कारण अधिकारी पैदल सेना, तोपखाना आरमर्ड कोर आदि में किस विभाग से संबंधित है? यह पता नहीं चल पाएगा कि यह सैनिक या अफसर किस रेजीमेंट का है। विभिन्न विभागों, विभिन्न सेवाओं के अधिकारी एक समान वर्दी पहनेंगे। वर्तमान में वरिष्ठ अधिकारी विभिन्न रंगों (पीला, नेवी) की डोरियां पहनते हैं, लेकिन ब्रिगेडियर और उससे ऊपर के अधिकारी अब डोरी नहीं लगाएंगे।