Published On : Thu, May 11th, 2023
By Nagpur Today Nagpur News

महाराष्ट्र में उद्धव बनाम एकनाथ शिंदे का मामला बड़ी बेंच में जाएगा, सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Advertisement

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने गुरुवार को फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बड़ी बेंच में भेजा जाएगा. सीजेआई ने कहा, नबाम रेबिया मामले में उठाए गए सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए. क्योंकि उसमे और स्पष्टता की आवश्यकता है.

महाराष्ट्र में जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गई थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाई थी. अब 11 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने का फैसला किया है. यानी फिलहाल अब ये मामला टल गया है.

Gold Rate
21 April 2025
Gold 24 KT 96,700 /-
Gold 22 KT 89,900 /-
Silver / Kg 96,800 /-
Platinum 44,000 /-
Recommended rate for Nagpur sarafa Making charges minimum 13% and above

जून 2022 में शुरू हुआ था सियासी संकट
महाराष्ट्र में पिछले साल जून में एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत कर दी थी. इसके बाद उद्धव सरकार गिर गई थी. शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बीजेपी के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद से उद्धव ठाकरे गुट के कई नेता शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं. वहीं लंबी उठापटक के बाद शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच तनातनी चल रही थी. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया था.

उलटफेर के बाद SC पहुंचे दोनों गुट
महाराष्ट्र में जून में शुरू हुए सियासी उठापटक के बाद एक के बाद एक कर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गईं. जहां शिंदे गुट के 16 विधायकों ने सदस्यता रद्द करने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, तो वहीं उद्धव गुट ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर, राज्यपाल के शिंदे को सीएम बनने का न्योता देने और फ्लोर टेस्ट कराने के फैसले के खिलाफ याचिकाएं दाखिल की हैं. इतना ही नहीं उद्धव गुट ने शिंदे गुट को विधानसभा और लोकसभा में मान्यता देने के फैसले को चुनौती दी है.

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ? –
सुप्रीम कोर्ट में आखिरी सुनवाई के दौरान उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के जून 2022 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा गया था. सिब्बल ने कहा था, अगर ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. – सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, वह महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे सरकार को बहाल कैसे कर सकता है, जब सीएम ने शक्ति परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले पर उठाए थे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले पर सवाल उठाए थे. कोर्ट ने कहा था, राज्यपाल को इस क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जहां उनकी कार्रवाई से एक विशेष परिणाम निकलेगा. सवाल यह है कि क्या राज्यपाल सिर्फ इसलिए सरकार गिरा सकते हैं क्योंकि किसी विधायक ने कहा कि उनके जीवन और संपत्ति को खतरा है? क्या विश्वास मत बुलाने के लिए कोई संवैधानिक संकट था? लोकतंत्र में यह एक दुखद तस्वीर है. सुरक्षा के लिए खतरा विश्वास मत का आधार नहीं हो सकता. उन्हें इस तरह विश्वास मत नहीं बुलाना चाहिए था.

आइए जानते हैं महाराष्ट्र में सियासी संकट की पूरी टाइमलाइन…
20 जून: एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के बागी विधायकों के साथ बगावत कर दी.
23 जून को शिंदे ने दावा किया कि उनके पास 35 विधायकों का समर्थन है.
25 जून: स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा. बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
26 जून: सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों (शिवसेना, केंद्र, डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा) बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली.
28 जून: राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा. उद्धव गुट इस फैसले के खिलाफ SC पहुंचा.
29 जून: सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
30 जून: एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. भाजपा के देवेंद्र फडणवीस उप मुख्यमंत्री बनाए गए.
3 जुलाई: विधानसभा के नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी. अगले दिन शिंदे ने विश्वास मत हासिल कर लिया.
21 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 9 दिन तक सुनवाई की.
16 मार्च 2023: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
11 मई 2023: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी बेंच के पास भेजा मामला.

महाराष्ट्र में दो बार हो चुका उलटफेर
महाराष्ट्र में अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ था. इस चुनाव में बीजेपी और शिवसेना साथ मिलकर चुनाव लड़ी थीं. राज्य की 288 सीटों में से बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. जबकि 13 निर्दलीय जीते थे.

हालांकि, सीएम पद को लेकर शिवसेना और बीजेपी में विवाद हो गया. इसके बाद शिवसेना ने चुनाव के बाद बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया. इसके बाद बीजेपी ने राज्यपाल के सरकार बनाने के न्योते को स्वीकारने से इनकार कर दिया. राज्यपाल ने दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता भेजा. – इसके बाद शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने की कोशिश में जुट गई. अभी तीनों पार्टियां साथ आने को लेकर चर्चा ही कर रही थीं, कि 23 नवंबर 2019 की सुबह देवेंद्र फडणवीस ने सीएम तो अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. हालांकि, शरद पवार ने अजित पवार के सारे खेल पर पानी फेर दिया. अजित एनसीपी के विधायकों को अपने साथ नहीं ला पाए, इसके बाद उन्होंने डिप्टी सीएम तो फडणवीस ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया. 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से बनी MVA सरकार में सीएम पद की शपथ ली. हालांकि, जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं. सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं. वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं. NDA: भाजपा- 105, शिवसेना (शिंदे गुट)- 40, प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2, अन्य दल- 3, निर्दलीय 12 MVA: एनसीपी- 53, कांग्रेस- 45, शिवसेना (उद्धव गुट)- 17, सपा 2, अन्य- 4

Advertisement
Advertisement