गोंदिया: शहर में हर और सड़े गले कचरे के ढेर , बदबू धुआं और वायु प्रदूषण जैसी स्वास्थ्य समस्या है लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव सिर पर होने के बाद भी राजनीतिक दलों , जिला प्रशासनिक अधिकारी और नगर पालिका मुख्य अधिकारी इन्हें कचरे के निस्तारण ( निपटान ) की स्थाई और ठोस समस्या का हल नहीं सूझ रहा जिसे लेकर नागरिकों में खासा रोष है।
बता दें कि सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट की तमाम योजनाओं के बावजूद भी कचरे के निस्तारण ( निपटान ) की ठोस व्यवस्था पिछले 60 वर्षों में नहीं बन पाई है , इस दौरान जनता ने जिन्हें चुन कर भेजा उन तमाम नीति निर्माताओं ने डंपिंग यार्ड और रिसाइकिलिंग केंद्र ( प्लांट ) के लिए उपयुक्त जमीन के चयन के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई लिहाज़ा न.प स्वास्थ्य विभाग और मुख्य अधिकारी ( प्रशासन ) भी आलस्य की चादर ओढ़ कर बैठ गए हैं और इसका खामियाजा जनता भुगत रही है क्योंकि शहर में सफाई व्यवस्था भी बे-पटरी भी हो चुकी है और आलम यह है कि नगर परिषद खुद के कार्यालय परिसर में सड़ा गला गीला कचरा जमाकर मूर्खता का परिचय दे रही है।
बता दें कि नगर परिषद कार्यालय के डिस्पैच विभाग के सामने नगर परिषद हिंदी टाउन स्कूल का मैदान है जो अब डंपिंग यार्ड में बदलता जा रहा है , नगर परिषद की कचरा गाड़ियां शहर के वार्ड से एकत्रित होने वाले कचरे को यहां डम्प कर रही है लिहाजा बदबू और सड़न की वजह से आसपास के रहने वाले नागरिक और नगर परिषद ऑफिस के कर्मचारी खासे परेशान हैं।
आलम यह है कि गांधी प्रतिमा चौराहे की ओर गुजरने वाले नागरिक बदबूदार माहौल के बीच सांस लेने में दिक्कत महसूस कर रहे है।
बिना लिखित परमिशन के निजी और सरकारी जमीनों पर कचरा डालना गैरकानूनी
बता दें कि बिना लिखित परमिशन के निजी और सरकारी जमीनों पर कचरा डालना गैरकानूनी है बावजूद इसके नगर परिषद की घंटा गाड़ियां टेमनी ,आसोली ,गणेश नगर ( मोक्षधाम परिसर ) लाल पहाड़ी
(मुर्री क्षेत्र ) गौतम नगर ( बाजपाई वार्ड ) राजाभोज चौक जाने वाले कारंजा बाईपास रोड सहित हर गली मोहल्ले को डंपिंग यार्ड बना रखा है , एक जगह से कचरा उठाओ , दूजी जगह कचरा फेंको ? बस इसी नीति पर काम हो रहा है यानी सफाई व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है , जहां कहीं भी खाली जगह ( भूखंड प्लाट ) दिखता है वहां गिरा दिया जाता है कचरा , नतीजतन बदबू से बचने के लिए लोग अपने घरों की खिड़की दरवाजे बंद रखने हेतु विवश हैं।
कुल मिलाकर नगर परिषद में सफाई का काम सिर्फ कागजों पर हो रहा है और न.प स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी लोगों की सेहत पर भारी पड़ रही है , इन कचरे के पहाड़ से दिखने वाले सूखे ढेरों में शाम ढलते ही शरारत की आग लगा दी जाती है और पूरा परिसर धुआं धुआं वायु प्रदूषण की चपेट में आ जाता है इस विषैले धुएं की वजह से लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और अस्थमा पीड़ितों के लिए यह ज़हरीला धुंआ जानलेवा बन चुका है।
शहर के बाशिंदे खुली साफ स्वच्छ हवा में सांस ले सकें यह सुनिश्चित करना नगर परिषद प्रशासन का दायित्व है इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो मजबूरन जनता को सड़कों पर उतरकर आंदोलन हेतु विवश होना पड़ेगा , ऐसी चेतावनी भी अब नगर परिषद प्रशासन को जारी की गई है।
रवि आर्य