गोंदिया । गोंदिया-बालाघाट- सिवनी राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 543 के फोरलेन सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की जा रही है और इसकी प्रक्रिया गत दो माह से जारी है ।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों से होकर गुजरने वाले नेशनल हाईवे क्रमांक 543 के लिए गोंदिया तहसील के नागरा ,अंभोरा ,सावरी , रावनवाड़ी, मुरपार , छोटा रजेगांव जिरूटोला ,सतोना, कोरनी , धामनगांव आदि गांव भूमि अधिकरण की प्रक्रिया से प्रभावित हो रहे हैं।
किसानों का आरोप है कि मुआवजे के रूप में सिर्फ 3 से 5 लाख रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा ही सक्षम प्राधिकारी द्वारा दिया गया है।
ग़ौरतलब है कि इस रोड पर जमीन की कीमत 75 लाख से सवा करोड़ रुपए प्रति एकड़ से ऊपर है , किसानों का कहना है कि इतना कम मुआवजा देना उनके साथ ठगी है।
नेशनल हाईवे एक्ट के अनुसार यदि किसानों को कम राशि दी गई है तो मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए आर्बिट्रेटर के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।
आर्बिट्रेटर कार्यालय गोंदिया से मिली जानकारी के अनुसार मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए अभी तक केवल 30 से 35 किसानों ने ही दावा गोंदिया के एक वकील के मार्फत प्रस्तुत किया है।
मुआवजे को लेकर किसान बाहरी दलालों के मकड़जाल में फंस रहे
जब किसानों को उचित जमीन का मुआवजा नहीं मिलता तो होने वाले नुकसान की भरपाई हेतु क्लेम करते हैं तो उन्हें पता चलता है कि मुआवजे के नाम पर उनसे जलगांव और नागपुर के दलालों द्वारा कुछ कागजों पर साइन लेकर उनके आधार कार्ड लिए गए हैं, किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी के एैसे कई मामले हैं जो सुर्खियां नहीं बन सके हैं।
गांव जिरुटोला के किसान विनोद पाचे से बातचीत करने पर पता चला कि परिवार के नेहरू पाचे रमेश पाचे के नाम गट नंबर 444 की जमीन ( 52 आर ) यह भूमि अधिग्रहण की गई है, उन्हें डेढ़ माह पहले नोटिस मिला था और महज़ 12 लाख 45 हजार रुपए मुआवजा राशि निश्चित की गई है , जबकि उनकी जमीन का मौजूदा बाजार मूल्य एक करोड़ रुपए से अधिक है।
मुआवजा राशि बढ़ाकर दिलाएंगे ऐसा कहते हुए नागपुर के कुछ अनजान लोगों ने उनसे संपर्क किया तथा आधार कार्ड व कुछ कागजातों पर साइन करा कर ले गए थे कि वह मुआवजा राशि बढ़ाकर दिलाएंगे लेकिन राशि कम होने पर जब किसानों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की तो उनकी तरफ से कोई भी प्रतिसाद प्राप्त नहीं हो रहा है ऐसे में लग रहा है कि कहीं उनके साथ धोखा तो नहीं हो रहा ?
ग्राम मुरपार के किसान चंद्रप्रकाश नागपुरे से बातचीत करने पर पता चला कि उनके परिवार की करीब 32 डिसमिल जमीन संपादित हो रही है तथा उन्हें मुआवजे के रूप में नगण्य राशि ( 3 लाख 24 हजार) दी जा रही है जिससे वह बहुत ही असंतुष्ट हैं , उनका कहना है कि इतनी कम राशि में कहीं भी खेती की जमीन नहीं खरीद सकते तथा जमीन के अभाव में उनका जीवन अब बहुत मुश्किल हो जाएगा।
पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि जलगांव के कुछ अनजान लोग मुआवजा राशि बढ़ाने के लिए कई गांव में घूम रहे हैं लेकिन उन्हें केवल उसमें फरेब ही नज़र आ रहा है।
बता दें की नेशनल हाईवे क्रमांक 543 के लिए आमगांव से देवरी के बीच भी जमीन संपादित की गई है जिसमें करीब 35 से 50 लाख रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से सक्षम प्राधिकारी द्वारा मुआवजा प्रदान किया गया है।
आमगांव से देवरी मार्ग यह गोंदिया से बालाघाट रोड के तुलना में बहुत ही पिछड़ा इलाका है।
किसानों का आरोप कि उन्हें मुआवजे की बहुत कम राशि देकर उनकी जमीन हथिया ली गई है ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार का इस मामले पर क्या रुख रहेगा ?
रवि आर्य